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🔱काँवड़ यात्रा - Kanwar Yatra

Kanwar Yatra Date: Ends: Friday, 26 July 2024
काँवड़ यात्रा

काँवड़ यात्रा मानसून के श्रावण माह मे किए जाने वाला अनुष्ठान है। कंवर (काँवर), एक खोखले बांस को कहते हैं इस अनुष्ठान के अंतर्गत, भगवान शिव के भक्तों को कंवरिया या काँवाँरथी के रूप में जाना जाता है।

हिंदू तीर्थ स्थानों हरिद्वार, गौमुख व गंगोत्री, सुल्तानगंज में गंगा नदी, काशी विश्वनाथ, बैद्यनाथ, नीलकंठ और देवघर सहित अन्य स्थानो से गंगाजल भरकर, अपने-अपने स्थानीय शिव मंदिरों में इस पवित्र जल को लाकर चढ़ाया जाता है।

काँवड़ यात्रा पूर्णिमा पंचांग पर आधारित सावन माह के प्रथम दिन अर्थात प्रतिपदा से ही प्रारंभ की जा सकती है। इस यात्रा की सुरुआत शिव पर अर्पित करने वाले मंदिर से, गंगाजल भरकर लाने वाले स्थान की दूरी पर निर्भर करती है। चूँकि कंवरिया को यह दूरी पैदल चलते हुए सावन शिवरात्रि के दिन तक पूरी करनी होती है। अतः काँवड़ यात्रा प्रारंभ का दिन इन सभी परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

ध्यान देने योग्य कुछ तथ्य:
» काँवड़ यात्रा के दौरान कंवरिया अन्न और नमक (अर्थात व्रत) का सेवन किए बिना इस यात्रा को पूरा करते हैं।
» काँवड़ को कंधे पर धारण किए, कंवरिया जल का भी सेवन नहीं करते हैं।
» अपनी यात्रा में कंवरिया, काँवड़ को जमीन पर नहीं रखते हैं, तथा शिव पर बिना जल अर्पण किए घर नहीं लौटते हैं।
» तथा गंगाजल शिवरात्रि के दिन ही अर्पण किया जाता है। कुछ कंवरिया यह यात्रा नंगे पैर पूरी करते हैं।
» इस पूरी यात्रा के दौरान कंवरिया अपने किसी भी साथी या अन्य साथी का नाम उच्चारित नहीं करते हैं, ये आपस में एक दूसरे को भोले नाम से संबोधित करते हैं।

काँवड़ यात्रा का इतिहास:
हिन्दू पुराणों में कांवड़ यात्रा समुद्र के मंथन से संबंधित है। समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने जहर का सेवन किया, जिससे नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित हुए। त्रेता युग में रावण ने शिव का ध्यान किया और वह कंवर का उपयोग करके, गंगा के पवित्र जल को लाया और भगवान शिव पर अर्पित किया, इस प्रकार जहर की नकारात्मक ऊर्जा भगवान शिव से दूर हुई।

संबंधित अन्य नामकांवड़ यात्रा, काँवर यात्र, कांवड
शुरुआत तिथि श्रावण कृष्ण प्रतिपदा
कारणभगवान शिव का प्रिय महीना
उत्सव विधि यात्रा, अभिषेकम, भजन, कीर्तन

Kanwar Yatra in English

Kanwar Yatra is a ritual performed during the monsoon month of Shravan. Kanwar is called a hollow bamboo. Under this ritual, the devotees of Bhagwan Shiv are known as Kanwaria or Kanvarathi.

जल कब चढ़ेगा? - Jal Kab Hai?

15 July 2023
काँवड़ यात्रा के अंर्तगत जल कब चढ़ाया जायेगा ये सबसे अधिक पूछे जाने वाला प्रश्न है। काँवड़ यात्रा 2023 को शिवजी पर जल शनिवार, 15 जुलाई 2023 को चढ़ाया जायगा क्योंकि इस दिन शिवरात्रि है।

जल कब चढ़ाए? जल चढ़ाने का समय?
भगवान शिव का सबसे प्रवित्र दिन शिवरात्रि, सकारात्मक ऊर्जा का श्रोत है, इसलिए जल चढ़ाने के लिए पूरा दिन ही पवित्र और शुभ माना गया है। पर जल चढ़ाते समय आगे और पीछे की तिथि के संघ को ध्यान में रखें।

डाक कांवड़ - Daak Kanwar

शिवरात्रि के दो या तीन दिन पहले हरिद्वार के लिए रवाना होते हैं। डाक कांवड लाने वाले शिवभक्त 15-20 लोगों की टोली में होते हैं। हरिद्वार में स्नान और पूजा अर्चना के बाद, जल को उठाकर वापस अपनी मंजिल की तरफ बढते हैं।

यात्रा में 2-3 बाइक, बड़े वाहन तथा अन्य कंवरिया भी होते हैं। जल उठाने के बाद से, ये कांवडिए जल को उठाकर अपनी मंजिल की तरफ भागते हैं। थक जाने पर बाइक पर सवार अन्य लोग अदला-बदली करके एक दूसरे को आराम देते रहते हैं। एक बार जल भरने के बाद में ये सीधा अपनी मंजिल पर जाकर ही रूकते हैं।

संबंधित जानकारियाँ

आवृत्ति
वार्षिक
समय
13 दिन
शुरुआत तिथि
श्रावण कृष्ण प्रतिपदा
समाप्ति तिथि
श्रावण कृष्ण त्रयोदशी
कारण
भगवान शिव का प्रिय महीना
उत्सव विधि
यात्रा, अभिषेकम, भजन, कीर्तन
महत्वपूर्ण जगह
पवित्र नदियाँ, गंगा जी, सभी ज्योतिर्लिंग, ऋषिकेश, पशुपतिनाथ, श्री शिव मंदिर
पिछले त्यौहार
15 July 2023, 4 July 2023, Begins: 14 July 2022, 25 July 2021 - 6 August 2021
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