चाँदनी चौक स्थित गौरी शंकर मंदिर भगवान शिव और माँ आदिशक्ति को समर्पित, एक 800 साल पुराना मंदिर है। गौरी शंकर मंदिर का समृद्ध इतिहास है, जो पुरानी दिल्ली के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विकास से गहराई से जुड़ा है। यह मंदिर दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद में सबसे पुराना शिव-पार्वती मंदिर माना जाता है।
गौरी शंकर मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
मंदिर में संगमरमर के साँपों से घिरा एक 800 साल पुराना भूरे रंग का लिंगम (शिव का प्रतीक) है। यह पारंपरिक उत्तर भारतीय शैली में बना है जिसमें जटिल नक्काशी और मूर्तियाँ हैं। यह मंदिर गौरी (पार्वती) और शंकर (शिव) को समर्पित है, जो दिव्य युगल का प्रतीक हैं। इसमें एक प्राचीन शिवलिंग स्थापित है, जो 800 साल से भी ज़्यादा पुराना माना जाता है, और चाँदी की पन्नी से ढके गर्भगृह में स्थापित है।
ऐसा कहा जाता है कि इस लिंगम की पूजा इसके चारों ओर औपचारिक मंदिर संरचना के निर्माण से बहुत पहले से की जाती रही है। इस मंदिर में पारंपरिक नागरी शैली की वास्तुकला है, जिसमें शिखर, जटिल नक्काशी और देवताओं की मूर्तियाँ हैं। अंदर, दीवारें हिंदू पौराणिक कथाओं, विशेष रूप से शिव और पार्वती से संबंधित कहानियों के चित्रों और चित्रणों से सुसज्जित हैं।
यह चांदनी चौक के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा है, और आस-पास के मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ यहाँ भी अक्सर लोग आते हैं।
गौरी शंकर मंदिर दर्शन का समय
मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और दर्शन का समय है आमतौर पर सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक।
गौरी शंकर मंदिर के प्रमुख त्यौहार
महाशिवरात्रि और नवरात्रि जैसे त्योहारों के दौरान, यह मंदिर आध्यात्मिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र बन जाता है। महा शिवरात्रि पर्व मंदिर का सबसे बड़ा त्यौहार है, जिसके अंतर्गत मंदिर से चाँदनी चॉक रोड पर बेंड-बाजों के साथ बड़ी ही धूम-धाम से भगवान शिव की बारात निकली जाती है। श्रावण सोमवार के दौरान यहाँ कावरियों का बहुत भीड़ लगता है। इसे न केवल एक पूजा स्थल माना जाता है, बल्कि 18वीं शताब्दी के दौरान दिल्ली में मराठा प्रभाव का प्रतीक भी माना जाता है।
कैसे पहुँचें गौरी शंकर मंदिर
मंदिर दिल्ली के चांदनी चौक के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा है, और आस-पास के मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ यहाँ भी अक्सर लोग आते हैं। मंदिर चांदनी चौक के पूर्वी छोर पर स्थित है, जो दिल्ली के सबसे पुराने और व्यस्ततम बाज़ारों में से एक है।
मंदिर का निर्माण 1761 में मराठा सैनिक और भगवान शिव के भक्त अप्पा गंगाधर ने करवाया था। किंवदंती के अनुसार, अप्पा गंगाधर गंभीर रूप से बीमार थे और उन्होंने भगवान शिव के सम्मान में एक मंदिर बनवाने की मन्नत मानी थी। स्वस्थ होने के बाद, उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाकर अपनी मन्नत पूरी की।
Om, Trishul, Sher and Shri Nandi (photo taken after permission)
Front Shikar in Shri Gauri Shankar Mandir
Shri Shivalay
One more Shikar with Shri Ram
Trishul on main shikhar
A full view of Shri Gauri Shankar Mandir
Two decorative shikar
1959
नवीनीकरण
Gauri Shankar Mandir Aarti
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