Shri Ram Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

गुरू की बात को गिरिधारी भी नही टाल सकते - प्रेरक कहानी (Guru Ki Baat Ko Giradhari Bhi Nahi Talate)


Add To Favorites Change Font Size
वृंदावन मे एक संत के पास कुछ शिष्य रहते थे उनमे से एक शिष्य मंद बुद्धि का था। एक बार गुरु देव ने सभी शिष्यों को अपने करीब बुलाया और सब को एक मास के लिए ब्रज मे अलग-अलग स्थान पर रहने की आज्ञा दी और उस मंद बुद्धि को बरसाने जाकर रहने को कहा।
मंद बुद्धि ने बाबा से पुछा बाबा मेरे रहने खाने की व्यवस्था वहा कौन करेगा। बाबा ने हंस कर कह दिया राधा रानी, कुछ दिनों बाद एक एक करके सब बालक लौट आए पर वो मंद बुद्धि बालक नही आया। बाबा को चिंता हुई के दो मास हो गए मंद बुद्धि बालक नही आया जाकर देखना चाहिए, बाबा अपने शिष्य की सुध लेने बरसाने आ गए।

बाबा ने देखा एक सुन्दर कुटिया के बाहर एक सुन्दर बालक बहुत सुन्दर भजन कर रहा है, बाबा ने सोचा क्यों ना इन्ही से पुछा जाए। बाबा जैसे ही उनके करिब गए वो उठ कर बाबा के चरणों में गिर गया और बोला आप आ गए गुरु देव! बाबा ने पुछा ये सब कैसे तु ठीक कैसे हो गया शिष्य बोला बाबा आपके ही कहने से किशोरी जी ने मेरे रहने खाने पीने की व्यवस्था की और मुझे ठीक कर भजन करना भी सिखाया।

बाबा अपने शिष्य पर बरसती किशोरी जी की कृपा को देख खुब प्रसन्न हुए और मन ही मन सोचने लगे मेरे कारण मेरी किशोरी जी को कितना कष्ट हुआ। उन्होंने मेरे शब्दो का मान रखते हुए मेरे शिष्य पर अपनी सारी कृपा उडेल दी। इसलिए कहते है गुरू की बात को गिरिधारी भी नही टाल सकते।

गुरु स्तुति | गुरु पादुका स्तोत्रम् | श्री गुरु अष्टकम | गुरु मेरी पूजा, गुरु गोबिंद, गुरु मेरा पारब्रह्म | गुरु भजन
यह भी जानें

Prerak-kahani Guru Prerak-kahaniGurudev Prerak-kahaniGuru Purnima Prerak-kahaniVyasa Purnima Prerak-kahaniSant Ravidas Prerak-kahaniRavidas Jayanti Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

महाभारत के युद्ध में भोजन प्रबंधन

आर्यावर्त के समस्त राजा या तो कौरव अथवा पांडव के पक्ष में खड़े दिख रहे थे। श्रीबलराम और रुक्मी ये दो ही व्यक्ति ऐसे थे जिन्होंने इस युद्ध में भाग नहीं लिया।

जगन्नाथ जी का खिचड़ी भोग - सत्य कथा

कर्मा बाई जी, जगन्नाथ पुरी में रहती थी और भगवान को बचपन से ही पुत्र रूप में भजती थीं।

ईर्ष्यालु व्यक्ति, किसी को सुखी-संपन्न नहीं देख सकता है - प्रेरक कहानी

ईर्ष्यालु व्यक्ति की प्रकृति यही होती है कि वह दूसरों को सुखी-संपन्न देखकर उनके जैसा उन्नत, संपन्न और सुखी होने की प्रेरणा ग्रहण नहीं करता...

तीन गुरु चोर, कुत्ता और छोटा बच्चा - प्रेरक कहानी

एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया, स्वामीजी आपके गुरु कौन है? मेरे हजारो गुरु हैं! लेकिन फिर भी मै अपने तीन गुरुओ के बारे मे तुम्हे जरुर बताऊंगा...

सेवा का समर्पण भाव - प्रेरक कहानी

एक बार एक राजा भोजन कर रहा था, अचानक खाना परोस रहे सेवक के हाथ से थोड़ी सी सब्जी राजा के कपड़ों पर छलक गई। राजा की त्यौरियां चढ़ गयीं।

कद्दू का तीर्थ स्नान - प्रेरक कहानी

वह कद्दू ले लिया, और जहाँ-जहाँ गए, स्नान किया वहाँ-वहाँ स्नान करवाया। मंदिर में जाकर दर्शन किया तो उसे भी दर्शन करवाया।...

भगवान की लाठी तो हमेशा तैयार है - प्रेरक कहानी

एक बुजुर्ग दरिया के किनारे पर जा रहे थे। जहरीले बिच्छु ने दरिया के अन्दर छलांग लगाई..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP