Shri Krishna Bhajan

कुछ अच्छाइयां.. ऐसी भी.. जिनका कोई और साक्षी ना हो - प्रेरक कहानी (Kuchh Acchaiyan.. Aisi Bhi.. Jinaka Koi Aur Aakshi Na Ho)


Add To Favorites Change Font Size
मैं पैदल घर आ रहा था। रास्ते में एक बिजली के खंभे पर एक कागज लगा हुआ था। पास जाकर देखा, लिखा था:
कृपया पढ़ें...
इस रास्ते पर मैंने कल एक 50 का नोट गंवा दिया है। मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता। जिसे भी मिले कृपया इस पते पर दे सकते हैं।
यह पढ़कर पता नहीं क्यों उस पते पर जाने की इच्छा हुई। पता याद रखा, यह उस गली के आखिरी में एक घर था। वहाँ जाकर आवाज लगाया तो एक वृद्धा लाठी के सहारे धीरे-धीरे बाहर आईं। मुझे मालूम हुआ कि वह अकेली रहती हैं। उन्हें ठीक से दिखाई नहीं देता।

माँ जी, मैंने कहा: आपका खोया हुआ 50 मुझे मिला है उसे देने आया हूँ।

यह सुन वह वृद्धा रोने लगी।

बेटा, अभी तक करीब 50-60 व्यक्ति मुझे 50-50 दे चुके हैं। मै पढ़ी-लिखी नहीं हूँ। ठीक से दिखाई नहीं देता। पता नहीं कौन मेरी इस हालत को देख मेरी मदद करने के उद्देश्य से लिख गया है।

बहुत ही कहने पर माँ जी ने पैसे तो रख लिए। पर एक विनती की: बेटा, वह मैंने नहीं लिखा है। किसी ने मुझ पर तरस खाकर लिखा होगा। जाते-जाते उसे फाड़कर फेंक देना बेटा।

मैनें हाँ कहकर टाल तो दिया पर मेरी अंतरात्मा ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि उन 50-60 लोगों से भी माँ ने यही कहा होगा। किसी ने भी नहीं फाड़ा। जिंदगी मे हम कितने सही और कितने गलत है, ये सिर्फ दो ही शक्स जानते है..

परमात्मा और अपनी अंतरआत्मा..!! मेरा हृदय उस व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता से भर गया। जिसने इस वृद्धा की सेवा का उपाय ढूँढा। सहायता के तो बहुत से मार्ग हैं, पर इस तरह की सेवा मेरे हृदय को छू गई। और मैंने भी उस कागज को फाड़ा नहीं। मदद के तरीके कई हैं, सिर्फ कर्म करने की तीव्र इच्छा मन मॆ होनी चाहिए।

कुछ अच्छाइयां.. अपने जीवन में ऐसी भी करनी चाहिए, जिनका ईश्वर के सिवाय.. कोई और साक्षी ना हो...!!
यह भी जानें

Prerak-kahani Budhi Mai Prerak-kahaniGareev Budhiya Prerak-kahani50 Rupaye Prerak-kahaniAnpadh Amma Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

तुलसीदास जी द्वारा श्री रामचरितमानस की रचना - सत्य कथा

दो वर्ष सात महीने छब्बीस दिन मे श्रीरामचरित मानस की रचना समाप्त हुई। संवत् १६३३ मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष में रामविवाह के दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।

श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी

एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था..

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी

प्रेरक कहानी: कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता फिर भी नाम जपने के लिये बैठ जाते है, क्या उसका भी कोई फल मिलता है?

सिय राम मय सब जग जानी - प्रेरक कहानी

अरे महात्मा जी, इस रास्ते से मत जाइये आगे एक बैल गुस्से में लोगों को मारता हुआ घूम रहा है। और आपने तो लाल वस्त्र भी पहन रखे हैं...

मेरे पास भगवान का विज़िटिंग कार्ड है - प्रेरक कहानी

रात के एक बजा था, एक सेठ को नींद नहीं आ रही थी, वह घर में चक्कर पर चक्कर लगाये जा रहा था, पर चैन नहीं पड़ रहा था...

भरे गिलास से, मंदिर की परिक्रमा - प्रेरक कहानी

मैं देखती हूं लोग मंदिर परिसर मे अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते है कुछ ने तो मंदिर को ही गपसप करने का स्थान चुन रखा है, कुछ पूजा कम पाखंड ज्यादा करते है।

बिना चिंतन के कीर्तन का कोई लाभ नहीं - प्रेरक कहानी

एक राजा था, उसने सुना कि राजा परीक्षित् ने भागवत की कथा सुनी तो उनका कल्याण हो गया। राजा के मन में आया कि..

Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP