Chaitra Navratri Specials 2023

लक्ष्मी जी कहाँ निवास करतीं हैं - प्रेरक कहानी (Lakshmi Ji Kahan Nivash Kartein Hain)


लक्ष्मी जी कहाँ निवास करतीं हैं - प्रेरक कहानी
Add To Favorites

एक बार की बात है, राजा बलि समय बिताने के लिए एकान्त स्थान पर गधे के रूप में छिपे हुए थे। देवराज इन्द्र उनसे मिलने के लिए उन्हें ढूँढ रहे थे। एक दिन इन्द्र ने उन्हें खोज निकाला और उनके छिपने का कारण जानकर उन्हें काल का महत्व बताया। साथ ही उन्हें तत्वज्ञान का बोध कराया।

तभी राजा बलि के शरीर से एक दिव्य रूपात्मा स्त्री निकली।
उसे देखकर इन्द्र ने पूछा: दैत्यराज! यह स्त्री कौन है? देवी, मानुषी अथवा आसुरी शक्ति में से कौन-सी शक्ति है?
राजा बलि बोले: देवराज! ये देवी तीनों शक्तियों में से कोई नहीं हैं। आप स्वयं पूछ लें।

इन्द्र के पूछने पर वे शक्ति बोलीं: देवेन्द्र! मुझे न तो दैत्यराज बलि जानते हैं और न ही तुम या कोई अन्य देवगण। पृथ्वी लोक पर लोग मुझे अनेक नामों से पुकारते हैं। जैसे- श्री, लक्ष्मी आदि।
इन्द्र बोले: देवी! आप इतने समय से राजा बलि के पास हैं लेकिन ऐसा क्या कारण है कि आप इन्हें छोड़कर मेरी ओर आ रही हैं?

लक्ष्मी जी बोलीं: देवेन्द्र! मुझे मेरे स्थान से कोई भी हटा या डिगा नहीं सकता है। मैं सभी के पास काल के अनुसार आती-जाती रहती हूँ। जैसा काल का प्रभाव होता है मैं उतने ही समय तक उसके पास रहती हूँ। अर्थात मैं समयानुसार एक को छोड़कर दूसरे के पास निवास करती हूँ।

इन्द्र बोले: देवी! आप असुरों के यहाँ निवास क्यों नहीं करतीं?
लक्ष्मी जी बोलीं: देवेन्द्र! मेरा निवास वहीं होता है जहाँ सत्य हो, धर्म के अनुसार कार्य होते हों, व्रत और दान देने के कार्य होते हों। लेकिन असुर भ्रष्ट हो रहे हैं। ये पहले इन्द्रियों को वश में कर सकते थे, सत्यवादी थे, ब्राह्मणों की रक्षा करते थे, पर अब इनके ये गुण नष्ट होते जा रहे हैं।...

...ये तप-उपवास नहीं करते, यज्ञ, हवन, दान आदि से इनका कोई संबंध शेष नहीं है। पहले ये रोगी, स्त्रियों, वृद्धों, दुर्बलों की रक्षा करते थे, गुरुजन का आदर करते थे, लोगों को क्षमादान देते थे। लेकिन अब अहंकार, मोह, लोभ, क्रोध, आलस्य, अविवेक, काम आदि ने इनके शरीर में जगह बना ली है। ये लोग पशु तो पाल लेते हैं लेकिन उन्हें चारा नहीं खिलाते, उनका पूरा दूध निकाल लेते हैं और पशुओं के बच्चे भूख से चीत्कारते हुए मर जाते हैं।..

..ये अपने बच्चों का लालन-पालन करना भूलते जा रहे हैं। इनमें आपसी भाईचारा समाप्त हो गया है। लूट, खसोट, हत्या, व्यभिचार, कलह, स्त्रियों की पतिव्रता नष्ट करना ही इनका धर्म हो गया है। सूर्योदय के बाद तक सोने के कारण स्नान-ध्यान से ये विमुख होते जा रहे हैं। इसलिए मेरा मन इनसे उचट गया।..

..देवताओं का मन अब धर्म में आसक्त हो रहा है। इसलिए अब मैं इन्हें छोड़कर देवताओं के पास निवास करूँगी। मेरे साथ श्रद्धा, आशा, क्षमा, जया, शान्ति, संतति, धृति और विजति ये आठों देवियाँ भी निवास करेंगी। देवेन्द्र! अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि मैंने इन्हें क्यों छोड़ा है। साथ ही आपको इनके अवगुणों का भी ज्ञान हो गया होगा।

तब इन्द्र ने लक्ष्मी को प्रणाम किया और उन्हें आदर सहित स्वर्ग ले गए।

यह भी जानें

Prerak-kahani Raja Bali Prerak-kahaniIndra Dev Prerak-kahaniMata Lakshmi Prerak-kahaniTatvya Gyan Prerak-kahaniKaal Ki Mahima Prerak-kahaniSamay Chakra Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

कर भला तो हो भला - प्रेरक कहानी

गुप्ता जी, पेशे से व्यापारी थे। कस्बे से दुकान की दूरी महज़ 9 किलोमीटर थी। एकदम वीराने में थी उनकी दुकान कस्बे से वहाँ तक पहुंचने का साधन यदा कदा ही मिलता था

श्री तुलसी जी का चमत्कार - प्रेरक कहानी

तुलसी माला पहनने से व्यक्ति की पाचन शक्ति, तेज बुखार, दिमाग की बीमारियों एवं वायु संबंधित अनेक रोगों में लाभ मिलता है। संक्रामक बीमारी और अकाल मौत भी नहीं होती, ऐसी धार्मिक मान्यता है।

पिता का आशीर्वाद - प्रेरक कहानी

मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं कि, तुम जीवन में बहुत सुखी रहोगे और धूल को भी हाथ लगाओगे तो वह सोना बन जायेगी।

भक्ति का प्रथम मार्ग है, सरलता - प्रेरक कहानी

प्रभु बोले भक्त की इच्छा है पूरी तो करनी पड़ेगी। चलो लग जाओ काम से। लक्ष्मण जी ने लकड़ी उठाई, माता सीता आटा सानने लगीं। आज एकादशी है...

एक दिन का पुण्य ही क्यूँ? - प्रेरक कहानी

तुम्हारे बाप के नौकर बैठे हैं क्या हम यहां, पहले पैसे, अब पानी, थोड़ी देर में रोटी मांगेगा, चल भाग यहाँ से।

बांटने के लिए ईश्वर ने तुम्हें बहुत कुछ दिया है - प्रेरक कहानी

ईश्वर ने जिसको ये तीन चीजें दी हैं वह कभी गरीब और निर्धन हो ही नहीं सकता। निर्धनता का विचार आदमी के मन में होता है, यह तो एक भ्रम है इसे निकाल दो।

हे कन्हैया! क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा - प्रेरक कहानी

एक औरत रोटी बनाते बनाते ॐ भगवते वासूदेवाय नम: का जाप कर रही थी, अलग से पूजा का समय कहाँ निकाल पाती थी बेचारी, तो बस काम करते करते ही..

Durga Chalisa - Hanuman Chalisa -
Subscribe BhaktiBharat YouTube Channel
x
Download BhaktiBharat App