Shri Krishna Bhajan

माइक आगे होता है, और मुख पीछे - प्रेरक कहानी (Maik Age Hota Hai Aur Mukh Pichhe)


Add To Favorites Change Font Size
एक बार स्वामी विवेकानंद जी किसी स्थान पर प्रवचन दे रहे थे। श्रोताओ के बीच एक मंजा हुआ चित्रकार भी बैठा था। उसे व्याख्यान देते स्वामी जी अत्यंत ओजस्वी लगे। इतने कि वह अपनी डायरी के एक पृष्ठ पर उनका रेखाचित्र बनाने लगा।
प्रवचन समाप्त होते ही उसने वह चित्र स्वामी विवेकानंद जी को दिखाया। चित्र देखते ही, स्वामी जी हतप्रभ रह गए। पूछ बैठे -'यह मंच पर ठीक मेरे सिर के पीछे तुमने जो चेहरा बनाया है , जानते हो यह किसका है ? चित्रकार बोल - 'नहीं तो .... पर पूरे व्याख्यान के दौरान मुझे यह चेहरा ठीक आपके पीछे झिलमिलाता दिखाई देता रहा।

यह सुनते ही विवेकानंद जी भावुक हो उठे। रुंधे कंठ से बोले -
"'धन्य है तुम्हारी आँखे ! तुमने आज साक्षात मेरे गुरुदेव श्री रामकृष्ण परमहंस जी के दर्शन किए ! यह चेहरा मेरे गुरुदेव का ही है, जो हमेशा दिव्य रूप में, हर प्रवचन में, मेरे अंग संग रहते है ....
मैं नहीं बोलता, ये ही बोलते है। मेरी क्या हस्ती, जो कुछ कह-सुना पाऊं ! बाँट रहे है। वैसे भी देखो न, माइक आगे होता है और मुख पीछे। ठीक यही अलौकिक दृश्य इस चित्र में है। मैं आगे हूँ और वास्तविक वक्ता - मेरे गुरुदेव पीछे !"
गुरु शिष्यों में युगों युगों से यही रहस्यमयी लीला होती आ रही है।
अपने गुरु पर पूर्ण विश्वास रखे वे सदैव हमारे साथ है।
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

गोस्वामी तुलसीदास को श्री कृष्ण का राम रूप दर्शन - सत्य कथा

तुलसीदास जी को भगवान् श्री कृष्ण का राम रूप में दर्शन देना | श्रीकृष्ण ने हाथ में धनुष-बाण ले लिया | श्री दशरथ जी का पुत्र, परम सुंदर उपमा रहित जानकार उनसे प्रेम करता था..

तुलसीदास जी द्वारा श्रीराम के दर्शन का उपाय - सत्य कथा

साक्षात् भगवान् श्रीराम के दर्शन करने का उपाय | उसके लिए प्रेम और भाव चाहिए, संत की कृपा चाहिए | वह व्यक्ति तुरंत पेड़ पर चढ़कर त्रिशूलपर कूद पडा..

प्रेरणादायक महाराजा रणजीत सिंह की कहानियाँ

एक बार महाराजा कहीं जा रहे थे, तभी उनके माथे पर पत्थर आकार लगा। उनके माथे पर से खून बहने लगा।...

निर्दोष को कैसी सजा - प्रेरक कहानी

बहुत समय पहले हरिशंकर नाम का एक राजा था। उसके तीन पुत्र थे और अपने उन तीनों पुत्रों में से वह किसी एक पुत्र को राजगद्दी सौंपना चाहता था।

पांच मिनट का जीवन - प्रेरक कहानी

यमराज ने पीने के लिए व्यक्ति से पानी माँगा, बिना एक क्षण गंवाए उसने पानी पिला दिया। पानी पीने के बाद यमराज ने बताया कि वो उसके प्राण लेने आये हैं..

ऋषि कक्षीवान सत्य कथा

एक बार वे ऋषि प्रियमेध से मिलने गए जो उनके सामान ही विद्वान और सभी शास्त्रों के ज्ञाता थे। दोनों सहपाठी भी थे और जब भी वे दोनों मिलते तो दोनों के बीच एक लम्बा शास्त्रात होता था

नमस्ते और नमस्कार मे क्या अंतर है?

नमस्कार और नमस्ते, एक जैसे अर्थ वाले दो शब्द। लेकिन अगर इनकी गहराई में जाया जाए तो दोनों में अंतर है। तिवारी जी एक कसबे के 12वीं तक के स्कूल में अध्यापक थे।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP