Shri Krishna Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

सेवभाव में स्नेह के आँसू - प्रेरक कहानी (Sevabhav Mein Sneh Ke Aansoo)


Add To Favorites Change Font Size
सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल की घंटी का बटन दबाया। ऊपर बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने नीचे देखा।
बीबी जी! सब्जी ले लो। बताओ क्या-क्या तोलना है? कई दिनों से आपने सब्जी नहीं खरीदी मुझसे, कोई और देकर जा रहा है क्या? सब्जी वाले ने कहा।

रुको भैया! मैं नीचे आती हूँ। महिला नीचे उतर कर आई और सब्जी वाले के पास आकर बोली: भैया! तुम हमारे घर की घंटी मत बजाया करो। हमें सब्जी की जरूरत नहीं है।

सब्जीवाले ने कहा: कैसी बात कर रही हैं बीबी जी! सब्जी खाना तो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी और से लेती हो क्या सब्जी?

नहीं भैया! उनके पास अब कोई काम नहीं है। किसी तरह से हम लोग अपने आप को जिंदा रखे हुए हैं। जब सब ठीक हो जाएगा, घर में कुछ पैसे आएंगे, तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी।

मैं किसी और से सब्जी नहीं खरीदती हूँ। तुम घंटी बजाते हो तो उन्हें बहुत बुरा लगता है! उन्हें अपनी मजबूरी पर गुस्सा आने लगता है। इसलिए भैया अब तुम हमारी घंटी मत बजाया करो। इतना कहकर महिला अपने घर में वापिस जाने लगी।

बहन जी! तनिक रुक जाओ। हम इतने बरस से आपको सब्जी दे रहे हैं। जब तुम्हारे अच्छे दिन थे, तब तुमने हमसे खूब सब्जी और फल लिए थे। अब अगर थोड़ी-सी परेशानी आ गई है, तो क्या हम तुमको ऐसे ही छोड़ देंगे?

सब्जी वाले हैं! कोई नेता जी तो है नहीं कि वादा करके छोड़ दें। रुके रहो दो मिनिट।

और सब्जी वाले ने एक थैली के अंदर टमाटर, आलू, प्याज, घीया, कद्दू और करेले डालने के बाद धनिया और मिर्च भी उसमें डाल दिया।

महिला हैरान थी! उसने तुरंत कहा: भैया! तुम मुझे उधार सब्जी दे रहे हो, कम से कम तोल तो लेते और मुझे पैसे भी बता दो। मैं तुम्हारा हिसाब लिख लूंगी। जब सब ठीक हो जाएगा तो तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस कर दूंगी।

वाह! ये क्या बात हुई भला? तोला तो इसलिए नहीं है कि कोई मामा अपने भांजी-भाँजे से पैसे नहीं लेता हैं और बहिन! मैं कोई अहसान भी नहीं कर रहा हूँ। ये सब तो यहीं से कमाया है, इसमें तुम्हारा हिस्सा भी है। गुड़िया के लिए ये आम रख रहा हूँ, और भाँजे के लिए मौसमी।

बच्चों का खूब ख्याल रखना, ये बीमारी(COVID) बहुत बुरी है और आखिरी बात भी सुन लो! घंटी तो मैं जब भी आऊँगा, जरूर बजाऊँगा। इतना कहकर सब्जी वाले ने मुस्कुराते हुए दोनों थैलियाँ महिला के हाथ में थमा दीं।
महिला की आँखें मजबूरी की जगह स्नेह के आंसुओं से भरी हुईं थीं।

प्रभु हर परिस्थिति में हमरी सहयता के लिए ना जाने कौन-कौनसे रूप में आते हैं। बस थोड़े से धैर्य का परिचय देते हुए बिखरना नहीं है।

सेवा का दिखावा करने के बजाय कहीं और न जाकर अपने आसपास के लोगों की सेवा यदि प्रत्येक व्यक्ति कर ले तो यह मुश्किल घड़ी भी आसानी से गुजर जाएगी और आत्मा आनंद अमृत से तृप्त होगी।
यह भी जानें

Prerak-kahani Sabji Wala Prerak-kahaniLady Prerak-kahaniHawker Prerak-kahaniFree Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

भक्ति का प्रथम मार्ग है, सरलता - प्रेरक कहानी

प्रभु बोले भक्त की इच्छा है पूरी तो करनी पड़ेगी। चलो लग जाओ काम से। लक्ष्मण जी ने लकड़ी उठाई, माता सीता आटा सानने लगीं। आज एकादशी है...

एक दिन का पुण्य ही क्यूँ? - प्रेरक कहानी

तुम्हारे बाप के नौकर बैठे हैं क्या हम यहां, पहले पैसे, अब पानी, थोड़ी देर में रोटी मांगेगा, चल भाग यहाँ से।

बुढ़िया माई को मुक्ति दी - तुलसी माता की कहानी

कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसीजी को सींचती और कहती कि: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूँ..

स्वर्ग, नरक सब अपने हाथ में ही है - प्रेरक कहानी

एक बुजुर्ग महिला की मृत्यु हो गई, यमराज उसे लेने आये। महिला ने यमराज से पूछा: आप मुझे स्वर्ग ले जाएँगे या नरक।

रमणीय टटिया स्थान, वृंदावन - प्रेरक कहानी

स्थान: श्री रंग जी मंदिर के दाहिने हाथ यमुना जी के जाने वाली पक्की सड़क के आखिर में ही यह रमणीय टटिया स्थान है। विशाल भूखंड पर फैला हुआ है...

कर भला तो हो भला - प्रेरक कहानी

गुप्ता जी, पेशे से व्यापारी थे। कस्बे से दुकान की दूरी महज़ 9 किलोमीटर थी। एकदम वीराने में थी उनकी दुकान कस्बे से वहाँ तक पहुंचने का साधन यदा कदा ही मिलता था

बिना श्रद्धा और विश्वास के, गंगा स्नान - प्रेरक कहानी

इसी दृष्टांत के अनुसार जो लोग बिना श्रद्धा और विश्वास के केवल दंभ के लिए गंगा स्नान करते हैं उन्हें वास्तविक फल नहीं मिलता परंतु इसका यह मतलब नहीं कि गंगा स्नान व्यर्थ जाता है।

Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP