Shri Ram Bhajan

शुद्ध भावनाओं से ईश्वर और सुंदर भविष्य पक्का है - प्रेरक कहानी (Shuddh Bhavanaon Se Eshwar Aur Sundar Bhavishy Pakka Hai)


शुद्ध भावनाओं से ईश्वर और सुंदर भविष्य पक्का है - प्रेरक कहानी
Add To Favorites Change Font Size
एक मन्दिर था, उसमें सभी लोग पगार पर थे। आरती वाला, पूजा कराने वाला आदमी, घण्टा बजाने वाला भी पगार पर था...
घण्टा बजाने वाला आदमी आरती के समय, भाव के साथ इतना मसगुल हो जाता था कि होश में ही नहीं रहता था। व्यक्ति पूरे भक्ति भाव से खुद का काम करता था। मन्दिर में आने वाले सभी व्यक्ति भगवान के साथ साथ घण्टा बजाने वाले व्यक्ति के भाव के भी दर्शन करते थे। उसकी भी वाह वाह होती थी।

एक दिन मन्दिर का ट्रस्ट बदल गया, और नये ट्रस्टी ने ऐसा आदेश जारी किया कि अपने मन्दिर में काम करते सब लोग पढ़े लिखे होना जरूरी है। जो पढ़े लिखें नहीं है, उन्हें निकाल दिया जाएगा।
उस घण्टा बजाने वाले भाई को ट्रस्टी ने कहा कि: तुम्हारी आज तक का पगार ले लो। कल से तुम नौकरी पर मत आना। उस घण्टा बजाने वाले व्यक्ति ने कहा: साहेब भले मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं, परन्तु इस कार्य में मेरा भाव भगवान से जुड़ा हुआ है, देखो!
ट्रस्टी ने कहा: सुन लो तुम पढ़े लिखे नहीं हो, इसलिए तुम्हे रखने में नहीं आएगा...

दूसरे दिन मन्दिर में नये लोगो को रखने में आया। परन्तु आरती में आये लोगो को अब पहले जैसा मजा नहीं आता था। घण्टा बजाने वाले व्यक्ति की सभी को कमी महसूस होती थी। कुछ लोग मिलकर घण्टा बजाने वाले व्यक्ति के घर गए, और विनती करी तुम मन्दिर आओ।
उस भाई ने जवाब दिया: मैं आऊंगा तो ट्रस्टी को लगेगा कि मैं नौकरी लेने के लिए आया है। इसलिए मैं नहीं आ सकता।

वहाँ आये हुए लोगो ने एक उपाय बताया कि, मन्दिर के बराबर सामने आपके लिए एक दुकान खोल के देते है। वहाँ आपको बैठना है और आरती के समय घण्टा बजाने आ जाना, फिर कोई नहीं कहेगा तुमको नौकरी की जरूरत है। उस भाई ने मन्दिर के सामने दुकान शुरू की और वो इतनी चली कि एक दुकान से सात दुकान और सात दुकानो से एक फैक्ट्री खोली। अब वो आदमी मंहगी गाड़ी से घण्टा बजाने आता था।

समय बीतता गया। ये बात पुरानी सी हो गयी...

मन्दिर का ट्रस्टी फिर बदल गया। नये ट्रस्ट को नया मन्दिर बनाने के लिए दान की जरूरत थी। मन्दिर के नये ट्रस्टी को विचार आया कि सबसे पहले उस फैक्ट्री के मालिक से बात करके देखते है। ट्रस्टी मालिक के पास गया ।सात लाख का खर्चा है, फैक्ट्री मालिक को बताया। फैक्ट्री के मालिक ने कोई सवाल किये बिना एक खाली चेक ट्रस्टी के हाथ में दे दिया और कहा चैक भर लो ट्रस्टी ने चैक भरकर उस फैक्ट्री मालिक को वापस दिया। फैक्ट्री मालिक ने चैक को देखा और उस ट्रस्टी को दे दिया।

ट्रस्टी ने चैक हाथ में लिया और कहा सिग्नेचर तो बाकी है। मालिक ने कहा मुझे सिग्नेचर करना नहीं आता है लाओ: अंगुठा मार देता हुँ, वही चलेगा...
ये सुनकर ट्रस्टी चौक गया और कहा: साहेब तुमने अनपढ़ होकर भी इतनी तरक्की की, यदि पढे लिखे होते तो कहाँ होते।

तो वह सेठ हँसते हुए बोला: भाई, मैं पढ़ा लिखा होता तो बस मन्दिर में घण्टा बजा रहा होता।

सारांश: कार्य कोई भी हो, परिस्थिति कैसी भी हो, हमारी काबिलियत, हमारी भावनाओं पर निर्भर करती है। भावनायें शुद्ध होगी तो ईश्वर और सुंदर भविष्य पक्का हमारा साथ देगा।
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

कर्म का भोग कैसे भोगते हैं? - प्रेरक कहानी

एक गाँव में एक किसान रहता था उसके परिवार में उसकी पत्नी और एक लड़का था। कुछ सालों के बाद पत्नी की मृत्यु हो गई..

जीवन का समस्या चक्र कब खत्म होगा? - प्रेरक कहानी

साधु महाराज: बेटा मैं इस नदी के पानी के सूखने का इंतजार कर रहा हूँ, जब ये सूख जायेगा फिर आराम से नदी पार कर लेंगे।..

सनातन गोस्वामी का नियम - प्रेरक कहानी

गिरि गोवर्द्धन की नित्य परिक्रमा करना, अब उनकी अवस्था 90 वर्ष की हो गयी थी, नियम पालन मुश्किल हो गया था फिर भी वे किसी प्रकार निबाहे जा रहे थे।..

जगन्नाथ मंदिर में प्रेम के पद - सत्य कथा

जगन्नाथ जी की सत्य कथा : उड़ीसा में बैंगन बेचनेवाले की एक बालिका थी। दुनिया की दृष्टि से उसमें कोई अच्छाई नहीं थी।

सचमुच सब कुछ तुम्हारे हाथ में ही है

एक आदमी रेगिस्तान से गुजरते वक़्त बुदबुदा रहा था.. तभी एक चमत्कार होता है, नजर झुकाते ही उसे सामने एक कुआँ नजर आता है।

गंगाजल से भरे घड़े की आत्मा कथा - प्रेरक कहानी

संतों की एक सभा चल रही थी, किसी ने एक दिन एक घड़े में गंगाजल भरकर वहां रखवा दिया ताकि संत जन जब प्यास लगे तो गंगाजल पी सकें।

दो बहते पत्तों की कहानी - प्रेरक कहानी

एक समय की बात है, गंगा नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ था। पहाड़ों से उतरती गंगा पूरे वेग से बह रही थी कि अचानक पेड़ से दो पत्ते नदी में आ गिरे।

Om Jai Jagdish Hare Aarti - Om Jai Jagdish Hare Aarti
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP