Shri Krishna Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

भक्त का भाव ही प्रभुको प्रिय है - प्रेरक कहानी (Bhakt Ka Bhav Hi Prabhu Ko Priy Hai)


Add To Favorites Change Font Size
बनारस में उस समय कथावाचक व्यास डोगरे जी का जमाना था। बनारस का वणिक समाज उनका बहुत सम्मान करता था। वो चलते थे तो एक काफिला साथ चलता था।
एक दिन वे दुर्गा मंदिर से दर्शन करके निकले तो एक कोने में बैठे ब्राह्मण पर दृष्टि पड़ी जो दुर्गा स्तुति का पाठ कर रहा था।

वे ब्राह्मण के पास पहुँचे जो कि पहनावे से ही निर्धन प्रतीत हो रहा था । डोगरे जी ने उसको इक्कीस रुपये दिये और बताया कि वह अशुद्ध पाठ कर रहा था। ब्राह्मण ने उनका धन्यवाद किया और सावधानी से पाठ करने लगा।

रात में डोगरे जी को जबर बुखार ने धर दबोचा। बनारस के सर्वोत्तम डाक्टर के यहाँ पहुँच गए। भोर के सवा चार बजे ही उठकर डोगरे जी बैठ गये और तुरंत दुर्गा मंदिर जाने की इच्छा प्रकट की।

एक छोटी-मोटी सी भीड़ साथ लिये डोगरे जी मंदिर पहुँचे, वही ब्राह्मण अपने ठीहे पर बैठा पाठ कर रहा था। डोगरे जी को उसने प्रणाम किया और बताया कि वह अब उनके बताये मुताबिक पाठ कर रहा है।

वृद्ध कथावाचक ने सिर इनकार में हिलाया, और बोले: पंडित जी, आपको विधि बताना हमारी भूल थी। घर जाते ही तेज बुखार ने धर दबोचा। फिर रात को भगवती दुर्गा ने स्वप्न में दर्शन दिये। वे क्रुद्ध थीं, बोलीं कि तू अपने काम से काम रखा कर बस। मंदिर पर हमारा वो भक्त कितने प्रेम से पाठ कर रहा था। तू उसके दिमाग में शुद्ध पाठ का झंझट डाल आया। अब उसका भाव लुप्त हो गया और वो रुक-रुक कर सावधानीपूर्वक पढ़ रहा है। जा और कह दे उसे कि जैसे पढ़ रहा था, बस वैसे ही पढ़े।

इतना कहते-कहते डोगरे जी के आँसू बह निकले। रुंधे हुए गले से वे बोले: महाराज, उमर बीत गयी, पाठ करते, माँ की झलक न दिखी। कोई पुराना पुण्य जागा था कि आपके दर्शन हुये, जिसके लिये जगत जननी को आना पड़ा।

आपको कुछ सिखाने की हमारी हैसियत नहीं है। आप जैसे पाठ करते हो, करो। जब सामने पड़ें, आशीर्वाद का हाथ इस मदांध मूढ के सर पर रख देना।
यह भी जानें

Prerak-kahani Durga Maa Prerak-kahaniDevi Maa Prerak-kahaniPandit Ji Prerak-kahaniBrahman Prerak-kahaniSant Prerak-kahaniKatha Vachak Prerak-kahaniBhakt Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

कर्म फल भोगते हुए भी दुःखी नहीं हों - प्रेरक कहानी

कर्मफल का भोग टलता नहीं: राजकुमार का सिर कट गया और वह मर गया। राजकन्या पति के मरने का बहुत शोक करने लगी...

जीवन एक प्रतिध्वनि है - प्रेरक कहानी

जीवन एक प्रतिध्वनि है आप जिस लहजे में आवाज़ देंगे पलटकर आपको उसी लहजे में सुनाईं देंगीं। न जाने किस रूप में मालिक मिल जाये...

भगवान को आपके धन की कोई आवश्यकता नहीं - प्रेरक कहानी

पुरानी बात है एक सेठ के पास एक व्यक्ति काम करता था। सेठ उस व्यक्ति पर बहुत विश्वास करता था। जो भी जरुरी काम हो सेठ हमेशा उसी व्यक्ति से कहता था...

अठावन घड़ी कर्म की और दो घड़ी धर्म की - प्रेरक कहानी

एक नगर में एक धनवान सेठ रहता था। अपने व्यापार के सिलसिले में उसका बाहर आना-जाना लगा रहता था। एक बार वह परदेस से लौट रहा था। साथ में धन था, इसलिए तीन-चार पहरेदार भी साथ ले लिए।

जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है - प्रेरक कहानी

एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान: आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे, एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बनकर खड़ा हो जाता हूँ, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ।

प्रेरक कहानी - व्यक्तित्व राव हम्मीर - 7 जुलाई जन्म दिवस

भारत के इतिहास में राव हम्मीर को वीरता के साथ ही उनकी हठ के लिए भी याद किया जाता है। उनकी हठ के बारे में कहावत प्रसिद्ध है...

किसका पुण्य बड़ा? - प्रेरक कहानी

मिथलावती नाम की एक नगरी थी। उसमें गुणधिप नाम का राजा राज करता था। उसकी सेवा करने के लिए दूर देश से एक राजकुमार आया।

Shri Krishna Bhajan - Shri Krishna Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP