🍚 अन्नपूर्णा जंयती - Annapurna Jayanti

Annapurna Jayanti Date: Sunday, 15 December 2024

मागर्शीष शुक्ल पूर्णिमा के दिन माँ पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप के अवतरण दिन को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाता है। माता अन्नपूर्णा को अन्नपूर्णेश्वरी एवं अन्नदा नामो से भी जाना जाता है। इस दिन माँ अन्नपूर्णा की आराधना करनी चाहिए, माँ की कृपा से किसी भी घर में कभी भी अन्न की कोई कमी नही होती है।

अन्नपूर्णा जयंती को अन्न दान की विशेष महिमा है। यदि इस दिन कोई भक्त अन्न दान करता है, तो उसे अगले जन्म में भी धन-धान्य की कभी कोई कमी नहीं होती है। अन्नपूर्णा जंयती पूजन में माँ अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करना चाहिए।

जब पृथ्वी पर खाने के लिए कुछ नहीं बचा, तब माँ पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप धारण कर सभी को इस संकट से उबारा। अन्नपूर्णा जयन्ती को मनुष्य के जीवन में अन्न के महत्व को समझाने हेतु मनाया जाता है। इस दिन रसोई की सफाई एवं अन्न के सदुपयोग को प्रचारित करना चाहिए। क्योंकि अन्न के सदुपयोग से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

शुरुआत तिथिमार्गशीर्ष शुक्ला पूर्णिमा
कारणमाँ पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप के अवतरण दिन
उत्सव विधिव्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन
Read in English - Annapurna Jayanti
The incarnation day of Annapurna form of Maa Parvati is celebrated as Annapurna Jayanti on the day of Margashish Shukla Purnima.

पौराणिक कथा

एक समय पृथ्वी लोक पर जल और अन्न सभी कुछ समाप्त हो गया। सभी प्राणी अन्न और जल के न मिलने पर मरने लगे। इसके बाद पृथ्वीं पर लोग ब्रह्मा जी और विष्णु की आराधना करने लगे। ऋषियों ने ब्रह्म लोक और बैकुंठ लोक जाकर इस समस्या हल निकालने के लिए ब्रह्मा जी और विष्णु जी से कहा। जिसके बाद ब्रह्मा जी और विष्णु जी सभी ऋषियों के साथ कैलाश पर्वत पर पहुंचे। सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना की हे प्रभू पृथ्वी लोक बड़े ही संकट से गुजर रहा है। इसलिए अपना ध्यान तोड़िए और जाग्रत अवस्था में आइए। तब शिव आंखे खोलकर सभी के आने का कारण पूछा।

तब सभी ने बताया की पृथ्वी लोक पर अन्न और जल की कमीं हो गई है। तब भगवान शिव ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा कि आप लोग धीरज रखिए। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती ने पृथ्वी लोक का भ्रमण किया। जिसके बाद माता पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप धारण किया और भगवान शिव ने एक भिक्षु का रूप धारण किया। इसके बाद भगवान शिव ने भिक्षा लेकर सभी पृथ्वी वासियों में भोजन वितरित किया। जिसके बाद पृथ्वी पर अन्न और जल की कमी पूरी हो गई और सभी ने माता अन्नपूर्णी की जय जयकार की।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
4 December 202523 December 202613 December 20271 December 202820 December 20299 December 2030
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
मार्गशीर्ष शुक्ला पूर्णिमा
समाप्ति तिथि
मार्गशीर्ष शुक्ला पूर्णिमा
महीना
दिसंबर / जनवरी
कारण
माँ पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप के अवतरण दिन
उत्सव विधि
व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन
महत्वपूर्ण जगह
माँ अन्नपूर्णा मंदिर, दुर्गा मंदिर
पिछले त्यौहार
26 December 2023, 8 December 2022, 19 December 2021, 30 December 2020, 12 December 2019

Updated: Dec 27, 2023 06:29 AM

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