Shri Ram Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

संस्कार क्या है? - प्रेरक कहानी (Sanskar Kya Hain?)


संस्कार क्या है? - प्रेरक कहानी
Add To Favorites Change Font Size
एक राजा के पास सुन्दर घोड़ी थी। कई बार युद्व में इस घोड़ी ने राजा के प्राण बचाये और घोड़ी राजा के लिए पूरी वफादार थी। कुछ दिनों के बाद इस घोड़ी ने एक बच्चे को जन्म दिया, बच्चा काना पैदा हुआ, पर शरीर हष्ट पुष्ट व सुडौल था।
बच्चा बड़ा हुआ, बच्चे ने माँ से पूछा: माँ मैं बहुत बलवान हूँ, पर काना हूँ, यह कैसे हो गया?
इस पर घोड़ी बोली: बेटा जब में गर्भवती थी, तू पेट में था तब राजा ने मेरे ऊपर सवारी करते समय मुझे एक कोड़ा मार दिया, जिसके कारण तू काना हो गया।

यह बात सुनकर बच्चे को राजा पर गुस्सा आया और माँ से बोला: माँ मैं इसका बदला लूंगा।

माँ ने कहा राजा ने हमारा पालन-पोषण किया है, तू जो स्वस्थ है, सुन्दर है, उसी के पोषण से तो है, यदि राजा को एक बार गुस्सा आ गया तो इसका अर्थ यह नहीं है कि हम उसे क्षति पहुचाये, पर उस बच्चे के समझ में कुछ नहीं आया, उसने मन ही मन राजा से बदला लेने की सोच ली।

एक दिन यह मौका घोड़े को मिल गया राजा उसे युद्व पर ले गया। युद्व लड़ते-लड़ते राजा एक जगह घायल हो गया, घोड़ा उसे तुरन्त उठाकर वापस महल ले आया।

इस पर घोड़े को ताज्जुब हुआ और माँ से पूछा: माँ आज राजा से बदला लेने का अच्छा मौका था, पर युद्व के मैदान में बदला लेने का ख्याल ही नहीं आया और न ही ले पाया, मन ने गवारा नहीं किया।
इस पर घोडी हंस कर बोली: बेटा तेरे खून में और तेरे संस्कार में धोखा है ही नहीं, तू जानकर तो धोखा दे ही नहीं सकता है।

तुझ से नमक हरामी हो नहीं सकती, क्योंकि तेरी नस्ल में तेरी माँ का ही तो अंश है।

यह सत्य है कि जैसे हमारे संस्कार होते है, वैसा ही हमारे मन का व्यवहार होता है, हमारे पारिवारिक संस्कार अवचेतन मस्तिष्क में गहरे बैठ जाते हैं, माता-पिता जिस संस्कार के होते हैं, उनके बच्चे भी उसी संस्कारों को लेकर पैदा होते हैं।

हमारे कर्म ही संस्‍कार बनते हैं और संस्कार ही प्रारब्धों का लेते हैं! यदि हम कर्मों को सही व बेहतर दिशा दे दें तो संस्कार अच्छे बनेगें और संस्कार अच्छे बनेंगे तो जो प्रारब्ध का फल बनेगा, वह मीठा व स्वादिष्ट होगा।
यह भी जानें

Prerak-kahani Raja Prerak-kahaniKing Prerak-kahaniMaa-Beta Prerak-kahaniMother Son Prerak-kahaniGhoda Prerak-kahaniHorse Prerak-kahaniWar Prerak-kahaniYuddha Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

कर्म फल भोगते हुए भी दुःखी नहीं हों - प्रेरक कहानी

कर्मफल का भोग टलता नहीं: राजकुमार का सिर कट गया और वह मर गया। राजकन्या पति के मरने का बहुत शोक करने लगी...

जीवन एक प्रतिध्वनि है - प्रेरक कहानी

जीवन एक प्रतिध्वनि है आप जिस लहजे में आवाज़ देंगे पलटकर आपको उसी लहजे में सुनाईं देंगीं। न जाने किस रूप में मालिक मिल जाये...

भगवान को आपके धन की कोई आवश्यकता नहीं - प्रेरक कहानी

पुरानी बात है एक सेठ के पास एक व्यक्ति काम करता था। सेठ उस व्यक्ति पर बहुत विश्वास करता था। जो भी जरुरी काम हो सेठ हमेशा उसी व्यक्ति से कहता था...

अठावन घड़ी कर्म की और दो घड़ी धर्म की - प्रेरक कहानी

एक नगर में एक धनवान सेठ रहता था। अपने व्यापार के सिलसिले में उसका बाहर आना-जाना लगा रहता था। एक बार वह परदेस से लौट रहा था। साथ में धन था, इसलिए तीन-चार पहरेदार भी साथ ले लिए।

जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है - प्रेरक कहानी

एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान: आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे, एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बनकर खड़ा हो जाता हूँ, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ।

प्रेरक कहानी - व्यक्तित्व राव हम्मीर - 7 जुलाई जन्म दिवस

भारत के इतिहास में राव हम्मीर को वीरता के साथ ही उनकी हठ के लिए भी याद किया जाता है। उनकी हठ के बारे में कहावत प्रसिद्ध है...

किसका पुण्य बड़ा? - प्रेरक कहानी

मिथलावती नाम की एक नगरी थी। उसमें गुणधिप नाम का राजा राज करता था। उसकी सेवा करने के लिए दूर देश से एक राजकुमार आया।

Aditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya Stotra
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP