🐅 पुरी की गोसानी यात्रा - Gosani Yatra in Puri

Gosani Yatra Date: Wednesday, 21 October 2026

पुरी में, दशहरे के अंत में देवी के विसर्जन को गोसानी जात्रा के नाम से जाना जाता है। इस पारंपरिक उत्सव, जिसे भसानी जात्रा भी कहा जाता है यात्रा के दौरान देवियों को भगवान जगन्नाथ को श्रद्धांजलि देने के लिए भव्य जुलूसों में लाया जाता है और फिर समुद्र या नदियों में विसर्जित कर दिया जाता है। इस आयोजन का समापन मूर्तियों के विसर्जन के साथ होता है, जो पुरी की एक विशिष्ट सांस्कृतिक अनोखी परंपरा है। पुरी के विमल पीठ मंदिर में शोलपूजा

पुरी में भसानी (गोसानी जात्रा) के प्रमुख पहलू
❀ स्वदेशी त्योहार: गोसानी जात्रा दुर्गा पूजा का एक स्वदेशी, प्राचीन रूप है जिसमें अनूठी स्थानीय परंपराएँ हैं, जिनमें मूर्तियों की बनावट और नाम भी शामिल हैं और उनकी बनावट, अलंकरण और रंग पुरी के लिए अद्वितीय हैं।
❀ जुलूस और अनुष्ठान: आश्विन एकादशी तिथि (शुक्ल पक्ष का 11वाँ दिन) को, गोसानी जगन्नाथ मंदिर के सामने इकट्ठा होते हैं, श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और फिर विसर्जन के लिए आगे बढ़ते हैं।
❀ पारंपरिक संगीत: राज्य के अन्य भसानी जुलूसों के विपरीत, पुरी गोसानी जात्रा में केवल 'ढोल' और 'घंटा' जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जाता है और इसमें स्पीकर या ब्रास बैंड से तेज़ संगीत नहीं बजाया जाता है।
❀ सांस्कृतिक महत्व: यह त्योहार पुरी की लोक संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और रथ यात्रा के बाद एक महत्वपूर्ण आयोजन है।

संबंधित अन्य नामभसानी जात्रा
शुरुआत तिथिअश्विन शुक्ल एकादशी
कारणमाता पार्वती
उत्सव विधिBhajan Kirtan, Tableau, Aarti
Read in English - Gosani Yatra in Puri
In Puri, the immersion of the goddess at the end of Dussehra is known as Gosani Jatra.

गोसानी जात्रा क्या है?

❀ गोसानी जात्रा पुरी का एक सदियों पुराना त्योहार है, जो दुर्गा पूजा/नवरात्रि के दौरान मनाया जाता है।
❀ यहाँ, पुरी के विभिन्न इलाके (साही) देवी दुर्गा की बड़ी मिट्टी की मूर्तियाँ बनाते हैं जिन्हें गोसानी कहा जाता है।
❀ प्रत्येक साही सबसे बड़ी और सबसे कलात्मक गोसानी मूर्ति बनाने में दूसरों से आगे निकलने की कोशिश करता है।
❀ गोसानी शब्द गोसानी देवी से लिया गया है, जो पुरी में पूजी जाने वाली शक्ति का एक अन्य स्थानीय रूप है।
❀ मूर्तियों का प्रदर्शन - पुरी में लगभग 70-80 गोसानी मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। इन्हें खूबसूरती से सजाया जाता है और पंडालों में स्थापित किया जाता है।

पुरी में यह क्यों खास है?

कोलकाता की दुर्गा पूजा, जो अधिक कलात्मक और विषयगत होती है, के विपरीत, पुरी की गोसानी यात्रा जगन्नाथ संस्कृति में निहित है। यह शैव, शाक्त और वैष्णव परंपराओं का मिश्रण है, जो ओडिशा के अनूठे आध्यात्मिक मिश्रण को दर्शाता है।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
अश्विन शुक्ल एकादशी
महीना
सितंबर / अक्टूबर
मंत्र
जय मा
कारण
माता पार्वती
उत्सव विधि
Bhajan Kirtan, Tableau, Aarti
महत्वपूर्ण जगह
पुरी ओडिशा
पिछले त्यौहार
3 October 2025

Updated: Oct 03, 2025 15:48 PM

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