Shri Ram Bhajan

🎋पोंगल - Pongal

Pongal Date: Wednesday, 14 January 2026
पोंगल

पोंगल (Pongal, பொங்கல்) तमिल हिंदुओं का यह प्रमुख फसल कटाई का त्यौहार है। यह हर वर्ष 14-15 जनवरी को मनाया जाता है। परंपरागत रूप से, यह समृद्धि के लिए समर्पित त्यौहार है जिसमें समृद्धि लाने के लिए बारिश, धूप, कृषि एवं पालतू पशुओं की पूजा की जाती है।

उत्तर भारत में मकर संक्रांति तथा पंजाब में लोहड़ी की ही तरह, दक्षिण भारत में पोंगल मनाया जाता है। पोंगल विशेष रूप से किसानों का त्यौहार है।

यह त्यौहार कब आता है?
यह मकर संक्रांति के आसपास हर साल मनाया जाने वाला चार दिनों का त्योहार है। लेकिन मुख्य त्यौहार पौष माह में मनाया जाता है। भक्ति भारत के अनुसार पोंगल यानी खिचड़ी भोग का त्यौहार सूर्य के उत्तरायण के शुभ समय में मनाया जाता है।

पोंगल का मतलब
पोंगल की पहली अमावस्या पर, लोग बुरी प्रथाओं को त्यागने और अच्छी चीजों को स्वीकार करने की प्रतिज्ञा करते हैं। इस कार्य को 'पोही' कहा जाता है और इसका अर्थ है 'जाना'। तमिल में पोंगल का अर्थ है उछाल या विप्लव। पोही का अगला दिन, प्रतिपदा है, जैसे दिवाली, पोंगल लोकप्रिय है।

पोंगल त्यौहार क्यों मनाते हैं?
दक्षिण भारत में धान की फसल के बाद, लोग अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं और आगामी फसल के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। समृद्धि लाने के लिए, वर्षा, सूर्य, इंद्रदेव और कृषि एवं पालतू पशुओं की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से खीर तैयार की जाती है। इस दिन मीठे और मसालेदार पोंगल व्यंजन तैयार किए जाते हैं। वे चावल, दूध, घी, चीनी के साथ भोजन तैयार करते हैं और इसे सूर्य भगवान को अर्पित करते हैं। इस त्योहार पर गाय के दूध उबलकर गिरने को बहुत महत्व दिया जाता है। इसका कारण यह है कि जिस प्रकार दूध का उबलकर गिरना शुद्ध और शुभ होता है, उसी प्रकार हर जीव का मन शुद्ध संस्कारों से उज्ज्वल होना चाहिए। इसीलिए दूध को नए बर्तनों में उबाला जाता है।

पोंगल त्यौहार के पीछे की पौराणिक कथा?
किंवदंती के अनुसार, शिव अपनी सवारी बैल अर्थात नंदी को पृथ्वी पर जाने के लिए कहते हैं और मनुष्यों के लिए एक संदेश देते हैं कि वह, प्रतिदिन तेल से स्नान करें और महीने में केवल एक दिन भोजन करें। बृषभ पृथ्वी पर मनुष्यों को विपरीत संदेश दे देते हैं। इससे क्रोधित होकर शिव उन्हें शाप देते हैं और कहते हैं, कि आज से तुम पृथ्वी पर मनुष्यों की कृषि में सहयोग करोगे।

एक दूसरी कथा जो कि इंद्रदेव एवं भगवान कृष्ण से जुड़ी है, जिसके अंतर्गत गोवर्धन पर्वत को उठाने के बाद, ग्वालों ने अपने शहर को फिर से बसाया और बैलों की सहायता से खेतों मे फसलों को फिर से उगाया।

संबंधित अन्य नामतमिळ - பொங்கல்
शुरुआत तिथिपौष / माघ
कारणसूर्य धनु से मकर राशि या दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर स्थानांतरित होता है।
उत्सव विधिदान-दक्षिणा, मेला।

Pongal in English

Pongal is a major Harvest festival among Tamil Hindus.

पोंगल अनुष्ठान और रीति-रिवाज

दक्षिण भारत में धान की फसल काटने के बाद लोग अपनी खुशी जाहिर करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं। इस दिन, लोग समृद्धि लाने के लिए बारिश, धूप, सूर्य, भगवान इंद्र और खेत जानवरों की पूजा करते हैं। यह त्यौहार चार दिनों तक चलता है। हर दिन का अपना-अपना महत्व होता है।

पहला दिन - भोगी पोंगल
पोंगल के पहले दिन इंद्र देव की पूजा की जाती है। इस दिन बारिश के लिए भगवान इंद्र के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। पोंगल के पहले दिन लोग अपना पुराना सामान जलाते हैं।

दूसरा दिन - सूर्य पोंगल
पोंगल के दूसरे दिन सूर्य पोंगल मनाया जाता है, सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य के उत्तरायण होने के बाद सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। एक विशेष खीर बनाई जाती है, जिसे पोंगल खीर ​​कहा जाता है।

तीसरा दिन - मट्टू पोंगल
पोंगल के तीसरे दिन जानवरों की पूजा की जाती है। इसे मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। इसमें लोग खासतौर पर मट्टू यानी बैल की पूजा करते हैं। गायों और बैलों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन बैल दौड़ का भी आयोजन किया जाता है, जिसे जल्लीकट्टू कहा जाता है।

चौथा दिन - कन्नुम पोंगल या तिरुवल्लुर दिवस
चौथा दिन पोंगल त्योहार का आखिरी दिन होता है। इस दिन को कन्या पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घरों को फूल-पत्तियों से सजाया जाता है। घर के आंगन और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है। कन्या पूजन कर लोग एक-दूसरे को पोंगल की बधाई देते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
15 January 202715 January 202814 January 202914 January 2030
आवृत्ति
वार्षिक
समय
4 दिन
शुरुआत तिथि
पौष / माघ
समाप्ति तिथि
पौष / माघ
महीना
जनवरी
कारण
सूर्य धनु से मकर राशि या दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर स्थानांतरित होता है।
उत्सव विधि
दान-दक्षिणा, मेला।
पिछले त्यौहार
14 January 2025
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