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☀️मकर संक्रांति - Makar Sankranti

Makar Sankranti Date: Wednesday, 15 January 2025
मकर संक्रांति

मकर संक्रांति त्यौहार, हिंदुओं के देव सूर्य को समर्पित है। जब सूर्य धनु से मकर राशि या दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर स्थानांतरित होता है, तब संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। संक्रांति का मतलब है, सूरज का एक राशि से दूसरी राशि मे प्रवेश करना है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार बारह राशियां मानी गयी हैं: मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन, जनवरी महीने में प्रायः 15 तारीख को जब सूर्य धनु राशि से (दक्षिणायन) मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण होता है तो मकर संक्रांति मनायी जाती है।

अधिकांश हिंदू त्योहार चंद्रमा की स्थिति के अनुसार मनाये जाते हैं, लेकिन यह त्योहार सूर्य के चारों ओर प्रथ्वी द्वारा की जाते वाली परिक्रमा की गणना के आधार पर मनाया जाता है। इसलिए हिंदू पंचांग के अनुसार कोई तय तिथि घोषित नहीं की जा सकती है।

मकर सर्दियों के मौसम का अंत माना जाता है, और सर्दियों की तुलना में, लम्बे दिनों की शुरुआत होजाती है। इस त्योहार पर लोग सूर्य की प्रार्थना करते हैं और आदि गुरु शंकराचार्य के अनुसार गांगजी, गंगा सागर, कुंभ और प्रयाग राज में स्नान करना चाहिए। परंपरा के अनुसार भक्त नदियों विशेषकर गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में डुबकी लगाते है। लोग व्रत स्नान के बाद अपनी क्षमता के अनुसार कुछ न कुछ दान अवश्य करते हैं।

भारत के अलग-अलग हिस्से में मकर संक्रांति विभिन्न नामों के साथ मनाई जाती है, कर्नाटक में संक्रांति, तमिलनाडु और केरल में पोंगल, पंजाब और हरियाणा में माघी, पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति, गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण एवं उत्तराखंड मे उत्तरायणी के नाम से जानी जाती है।

संबंधित अन्य नामसंकरात, पोंगल, उत्तरायण, माघे सङ्क्रान्ति, खिचड़ी पर्व
शुरुआत तिथिपौष / माघ (मकर संक्रांति)
कारणसूर्य धनु से मकर राशि या दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर स्थानांतरित होता है।
उत्सव विधिसूर्य भगवान की उपासना, तिल-गुड़ से बनी मिठाइयाँ, खिचड़ी, दान-दक्षिणा, गंगा स्नान, पवित्र नदियों मे स्नान, पतंगबाजी, मेला।

Makar Sankranti in English

Makar Sankranti festival is dedicated to the Hindu god Surya. When Sun shifted from dahanu to makar rashi or dakshinayan to uttarayan.

मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथाएं।

प्रसंग 1: चूंकि, शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाया करते हैं। अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

प्रसंग 2: मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। यह भी कहा जाता है कि गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है।

प्रसंग 3: महाभारत के महान योद्धा भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए , सूर्य के मकर राशि मे आजाने तक इंतजार किया था।

प्रसंग 4: इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की एवं सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत के नीचे दबा दिया था। इस प्रकार यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता के अंत का दिन भी माना जाता है।

प्रसंग 5: माता यशोदा ने जब कृष्ण जन्म के लिए व्रत किया था तब सूर्य देवता उत्तरायण काल में पदार्पण कर रहे थे और उस दिन मकर संक्रांति थी। माना जाता उसी दिन से मकर संक्रांति व्रत का प्रचलन सुरू हुआ।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
15 January 202615 January 202715 January 2028
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
पौष / माघ (मकर संक्रांति)
समाप्ति तिथि
पौष / माघ (मकर संक्रांति)
महीना
जनवरी
कारण
सूर्य धनु से मकर राशि या दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर स्थानांतरित होता है।
उत्सव विधि
सूर्य भगवान की उपासना, तिल-गुड़ से बनी मिठाइयाँ, खिचड़ी, दान-दक्षिणा, गंगा स्नान, पवित्र नदियों मे स्नान, पतंगबाजी, मेला।
महत्वपूर्ण जगह
प्रयागराज, गंगा सागर, पवित्र नदियाँ।
पिछले त्यौहार
15 January 2024, 15 January 2023, 14 January 2022, 14 January 2021, 14 January 2020

वीडियो

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