पुरी में काली पूजा दिवाली (कार्तिक माह की अमावस्या) के साथ बड़ी श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाई जाती है। जहाँ अधिकांश भारत दिवाली पर लक्ष्मी पूजा मनाता है, वहीं ओडिशा, विशेष रूप से पुरी में, माँ काली की पूजा पर विशेष ध्यान दिया जाता है - जिसे श्यामा काली पूजा या काली पूजा के रूप में जाना जाता है। यह त्योहार कार्तिक माह (आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर) की अमावस्या की रात को मनाया जाता है। यह वह रात है जब देवी काली बुरी शक्तियों का नाश करने और भक्तों की रक्षा करने के लिए प्रकट हुई थीं।
काली पूजा के अनुष्ठान:
❀ भक्त तांत्रिक अनुष्ठान, यज्ञ और मध्यरात्रि काली आरती करते हैं।
❀ देवी की पूजा उनके उग्र रूप में की जाती है, जिन्हें लाल गुड़हल के फूलों, सिंदूर और आभूषणों से सजाया जाता है।
❀ प्रसाद में चावल, मिठाई, मछली, पान और मदिरा (पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार) चढ़ाये जाते हैं।
❀ दीये और पटाखे जलाकर रात को रोशन किया जाता है, जैसा कि अन्य जगहों पर दिवाली पर होता है।
❀ ईश्वरीय सुरक्षा का आह्वान करने के लिए होम (अग्नि अनुष्ठान) किया जाता है।
❀ पारंपरिक तांत्रिक मंदिरों में बलि (प्रतीकात्मक बलिदान) अनुष्ठान किए जाते हैं।
❀ शाम के समय परिवार के सदस्य इकट्ठा होते हैं, लकड़ियाँ जलाते हैं और पितरों के लिए गीत गाते हैं। लोग जगन्नाथ धाम पुरी के बाईसी पहाच (22 सीढ़ियों) पर अपने पितरों को तर्पण देते हैं।
| संबंधित अन्य नाम | माँ श्यामा काली पूजा |
| शुरुआत तिथि | कार्तिक माह की अमावस्या |
| कारण | माँ काली |
| उत्सव विधि | मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा |
Updated: Oct 27, 2025 17:14 PM