कौशल्यानंदन भगवान् श्री राम का विग्रह स्थापित:
कुछ लोग दक्षिण देश से भगवान् श्रीराम की मूर्ति लेकर स्थापना करने के लिये श्रीअवध जा रहे थे। यमुना-तट पर उन्होंने विश्राम किया।
उदय नामके ब्राह्मण वह मूर्ति देखकर मुग्ध हो गये। उन्होंने चाहा कि इस मूर्ति की स्थापना यहीं पर हो जाय। गोस्वामी जी से प्रार्थना की।
दूसरे दिन जब उन लोगों ने उस प्रतिमा को उठाकर ले जाना चाहा तब वह उठी ही नहीं। तब उसकी स्थापना वही कर दी।
गोस्वामी जी ने उनका नाम कौसल्यानन्दन रख दिया।
श्रीगोस्वामी जी के विद्या पढ़ने के समय के गुरुभाई नंददासजी कनौजिया यहीं पर मिले। उनके साथ भगवान् का दर्शन एवं प्रसाद पाकर भक्तों को आनंदित कर गोस्वामी जी ने चित्रकूट की यात्रा की।
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