✨लक्ष्मी पंचमी - Lakshmi Panchami

Lakshmi Panchami Date: Monday, 23 March 2026

लक्ष्मी पंचमी, चैत्र मास में चंद्रमा के शुक्ल पक्ष की पंचमी के पांचवें दिन मनाई जाती है। यह मान्य है की चैत्र शुक्ल पंचमी के कल्पादि तिथि में यह पूजा की जाती है। समय के वैदिक विभाजन के अनुसार यह दिन एक कल्प की शुरुआत से संबंधित है, इसिलए यह कल्पादि तिथि के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में गुड़ी पड़वा/उगादि और अक्षय तृतीया सहित सात कल्पदी दिन होते हैं।

यह दिन धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित है। लक्ष्मी पंचमी को श्री पंचमी और श्री व्रत के नाम से भी जाना जाता है। श्री देवी, माता लक्ष्मी का दूसरा नाम है। इस दिन को वसंत पंचमी के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए जिसे श्री पंचमी के रूप में भी जाना जाता है जो कि कला और ज्ञान की देवी सरस्वती को समर्पित है।

संबंधित अन्य नामLakshmi Panchami, Sri Devi Panchami
शुरुआत तिथिचैत्र मास, चंद्रमा के शुक्ल पक्ष की पंचमी के पांचवें दिन
कारणमाता लक्ष्मी
उत्सव विधिमंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा
Read in English - Lakshmi Panchami
Lakshmi Panchami is celebrated on the chaitra maas, chandra maa suklapaksha panchami tithi fifth day. It is believed that this puja is performed on the Kalpadi Tithi of Chaitra Shukla Panchami. According to the Vedic division of time, this day corresponds to the beginning of a Kalpa, hence it is known as Kalpadi Tithi. According to the Hindu calendar, there are seven Kalpadi days in a year including Gudi Padwa/Ugadi and Akshaya Tritiya.

लक्ष्मी पंचमी का महत्व

लक्ष्मी पंचमी का दिन हिंदू नव वर्ष के पहले सप्ताह के दौरान आता है। साल की शुरुआत में देवी लक्ष्मी की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। लोग एक दिन का उपवास रखते हैं और घर के साथ-साथ कार्यालय में भी देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। कुछ व्यापारिक घराने और व्यापारी उसी दिन विस्तृत पूजा करते हैं।

लक्ष्मी पंचमी पर पूजा विधि

❀ भक्त प्रातः काल स्नानादि समाप्त कर व्रत की शुरुआत करें, पहले देवी लक्ष्मी के स्तोत्र और मंत्र का जाप करना चाहिए और पूजा के दौरान मां लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना करें।
❀ मूर्ति को पंचामृत से शुद्ध करें और फिर देवी को चंदन, केले के पत्ते, फूलों की माला, चावल, दूर्वा, लाल धागा, सुपारी, नारियल चढ़ाएं।
❀ देवी लक्ष्मी की आरती करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएँ और दक्षिणा दें।
❀ इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। भक्तों को केवल फल, दूध और मिठाई का ही सेवन करना चाहिए।
❀ भक्तों को लक्ष्मी पंचमी पर कनकधारा स्तोत्र, लक्ष्मी स्तोत्रम और श्री सुक्तम सहित विभिन्न स्तोत्रों का पाठ करना चाहिए।

लक्ष्मी पंचमी पूजा का फल

लक्ष्मी पंचमी करने से धन, सुख, सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों पर कृपा करती हैं। देवी लक्ष्मी सबसे शक्तिशाली देवताओं में से एक हैं, प्राचीन काल से यह माना जाता है कि चैत्र शुक्ल पंचमी पर विभिन्न मंत्रों, स्तोत्रों और अन्य पवित्र प्रार्थनाओं के साथ देवी महालक्ष्मी की पूजा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
चैत्र मास, चंद्रमा के शुक्ल पक्ष की पंचमी के पांचवें दिन
महीना
मार्च - अप्रैल
कारण
माता लक्ष्मी
उत्सव विधि
मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा
पिछले त्यौहार
2 April 2025, 12 April 2024, 25 March 2023

Updated: Apr 02, 2025 11:23 AM

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