श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम (Ashtalakshmi Stothram)


श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र मे देवी महालक्ष्मी को आठ रूपों में पूजा जाता है। देवी महालक्ष्मी के इन रूपों को हम अष्टलक्ष्मी भी कहते है।अथ श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम
1. आद्य लक्ष्मी
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,
चन्द्र सहोदरि हेममये,
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनि,
मंजुल भाषिणी वेदनुते ।
पंकजवासिनी देव सुपूजित,
सद्गुण वर्षिणी शान्तियुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
आद्य लक्ष्मी परिपालय माम् ॥1॥

2. धान्यलक्ष्मी
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनी,
वैदिक रूपिणि वेदमये,
क्षीर समुद्भव मंगल रूपणि,
मन्त्र निवासिनी मन्त्रयुते ।
मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि,
देवगणाश्रित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
धान्यलक्ष्मी परिपालय माम्॥2॥

3. धैर्यलक्ष्मी
जयवरवर्षिणी वैष्णवी भार्गवि,
मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये,
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद,
ज्ञान विकासिनी शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणी पापविमोचिनी,
साधु जनाश्रित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥3॥

4. गजलक्ष्मी
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि,
सर्वफलप्रद शास्त्रमये,
रथगज तुरगपदाति समावृत,
परिजन मण्डित लोकनुते ।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित,
ताप निवारिणी पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
गजरूपेणलक्ष्मी परिपालय माम् ॥4॥

5. संतानलक्ष्मी
अयि खगवाहिनि मोहिनी चक्रिणि,
राग विवर्धिनि ज्ञानमये,
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि,
सप्तस्वर भूषित गाननुते ।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर,
मानव वन्दित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम् ॥5॥

6. विजयलक्ष्मी
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि,
ज्ञान विकासिनी ज्ञानमये,
अनुदिनमर्चित कुन्कुम धूसर,
भूषित वसित वाद्यनुते ।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित,
शंकरदेशिक मान्यपदे,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
विजयलक्ष्मी परिपालय माम् ॥6॥

7. विद्यालक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वर भारति भार्गवि,
शोकविनाशिनि रत्नमये,
मणिमय भूषित कर्णविभूषण,
शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि,
कामित फलप्रद हस्तयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥7॥

8. धनलक्ष्मी
धिमिधिमि धिन्दिमि धिन्दिमि,
दिन्धिमि दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये,
घुमघुम घुंघुम घुंघुंम घुंघुंम,
शंख निनाद सुवाद्यनुते ।
वेद पुराणेतिहास सुपूजित,
वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी,
धनलक्ष्मी रूपेणा पालय माम् ॥8॥

फ़लशृति
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विष्णु वक्ष:स्थलारूढ़े भक्त मोक्ष प्रदायिनी॥
शंख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जय: ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मंगलम् शुभ मंगलम्॥
॥ इति श्रीअष्टलक्ष्मी स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Ashtalakshmi Stothram - Read in English
Sumanasa Vandita Sundari Madhavi Chandra Sahodari Hemamaye, Munigana Vandita Moksha Pradayini..
Mantra Diwali MantraMata Lakshmi MantraLaxmi MantraLaxmi Pujan MantraNavratri MantraKojagari Vrat MantraAshtalakshmi Mantra

अन्य प्रसिद्ध श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम वीडियो

श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम - Art Of living

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र के 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 कोटि(प्रकार)देवताओं के द्योतक हैं।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥ नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

आदित्य-हृदय स्तोत्र

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् । रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् ॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् ।

कनकधारा स्तोत्रम्: अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती

कनकधारा स्तोत्रम्: अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती, भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् ।

संकट मोचन हनुमानाष्टक

बाल समय रवि भक्षी लियो तब।.. लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।...