पितृ पक्ष - Pitru Paksha

🎋नहाये खाये - Nahaye Khaye

Chhath Puja Date: Saturday, 25 October 2025
नहाये खाये

कार्तिक छठ पूजा: छठ पर्व या छठ पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी से कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक मनाया जाने वाला चार दिनों तक चलने वाला लोक पर्व है। यह पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। छठ पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्य बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा व उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। छठ भारत मे वैदिक काल से ही मनाए जाने वाला बिहार का प्रसिद्ध पर्व है। षष्ठी तिथि के प्रमुख व्रत को मनाए जाने के कारण इस पर्व को छठ कहा जाता है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करते।

संबंधित अन्य नामछठ पर्व, छठ, षष्‍ठी पूजा, चैती छठ
शुरुआत तिथिकार्तिक / चैत्र शुक्ल चतुर्थी
कारणसूर्य देव एवं छठी मैया की पूजा।
उत्सव विधिस्नान, सूर्य को अर्घ्य, भजन, कीर्तन, आरती, मेले।

Nahaye Khaye in English

Chhath or Chhath Puja is a four-day folk festival celebrated from Kartik Shukla Shashthi to Kartik Shukla Saptami.

प्रथम दिन - नहाय खाये

25 October 2025
तिथि: कार्तिक / चैत्र शुक्ल चतुर्थी
दिल्ली में सूर्यास्त का समय: - 05:42 PM
पटना में सूर्यास्त का समय: - 05:13 PM

छठ पर्व का प्रथम दिन जिसे नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन सर्वप्रथम घर की सफाई कर उसे पवित्र किया जाता है। उसके उपरांत व्रती अपने निकटतम नदी अथवा तालाब में जाकर स्वच्छ जल से स्नान करते है।

व्रती इस दिन सिर्फ एक बार ही खाना खाते है। तला हुआ खाना इस व्रत मे पूर्णरूप से वर्जित हैं। यह खाना कांसे या मिटटी के बर्तन में पकाया जाता है। आज के दिन व्रती बिना स्नान किये जल भी ग्रहण नहीं करते हैं।

दूसरा दिन - खरना और लोहंडा

26 October 2025
तिथि: कार्तिक / चैत्र शुक्ल पंचमी
दिल्ली में सूर्यास्त का समय: - 05:41 PM
पटना में सूर्यास्त का समय: - 05:12 PM

छठ पर्व का दूसरा दिन जिसे खरना या लोहंडा के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते है, सूर्यास्त से पहिले पानी की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करते हैं। शाम को चावल गुड़ और गन्ने के रस का प्रयोग कर खीर बनाई जाती है। इन्हीं दो चीजों को पुन: सूर्यदेव को नैवैद्य देकर उसी घर में एकान्त-वास करते हुए ग्रहण किया जाता है।

सभी परिवार जनों, मित्रों एवं रिश्तेदारों को प्रसाद स्वरूप खीर-रोटी दिया जाता हैं। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को खरना कहते हैं। इसके उपरांत व्रती अगले 36 घंटों के लिए निर्जला व्रत धारण कर लेता है। मध्य रात्रि को व्रती पूजा के लिए विशेष प्रसाद रूप मे ठेकुआ नामक पकवान बनाता है।

तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य

27 October 2025
तिथि: चैत्र शुक्ला षष्ठी / कार्तिक शुक्ल षष्ठी
दिल्ली में सूर्यास्त का समय: - 05:40 PM
पटना में सूर्यास्त का समय: - 05:11 PM

छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्घ्य (अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य) के नाम से जाना जाता है। पूरे दिन सभी परिजन मिलकर पूजा की तैयारिया करते हैं। छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद जैसे ठेकुआ, कचवनिया (चावल के लड्डू) बनाए जाते हैं। छठ पूजा के लिए एक बांस की बनी हुयी टोकरी जिसे दउरा कहते है में पूजा के प्रसाद, फल डालकर देवकारी में रख दिया जाता है।

वहां पूजा अर्चना करने के बाद शाम को एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल और पूजा का अन्य सामान लेकर दउरा में रख कर घर का पुरुष अपने हाथो से उठाकर छठ घाट पर ले जाते हैं। इस पर्व मे पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है। इस संपूर्ण आयोजन मे महिलाये प्रायः छठ मैया के गीतों को गाते हुए घाट की ओर जातीं हैं।

नदी के किनारे छठ माता का चौरा बनाकर उसपर पूजा का सारा सामान रखकर नारियल अर्पित किया जाता है एवं दीप प्रज्वलित किया जाता है। सूर्यास्त से कुछ समय पहले, पूजा का सारा सामान लेकर घुटने तक पानी में जाकर खड़े होकर, डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा की जाती है।

चौथा दिन - उषा अर्घ्य

28 October 2025
तिथि: कार्तिक / चैत्र शुक्ल सप्तमी
दिल्ली में सूर्योदय का समय: - 06:30 AM
पटना में सूर्योदय का समय: - 05:56 AM

चौथे अर्थात अंतिम दिन, सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्योदय से पहिले ही व्रती-जन घाट पर उगते सूर्यदेव की पूजा हेतु सभी परिजनो के साथ पहुँचते हैं।

संध्या अर्घ्य में अर्पित पकवानों को नए पकवानों से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है, परन्तु कन्द, मूल, फलादि वही रहते हैं। सभी नियम-विधान सांध्य अर्घ्य के समान ही किए जाते हैं। पूजा-अर्चना समाप्तोपरान्त घाट के पूजन का विधान है।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा के अनुष्ठानों का उद्देश्य ब्रह्मांडीय सौर-ऊर्जा जलसेक के लिए भक्त के शरीर और दिमाग को प्रेरणा देता है। केवल सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान ही अधिकांश मनुष्य सुरक्षित रूप से सौर ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। यही कारण है कि छठ पूजा के त्योहार में देर शाम और सुबह जल्दी सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है।

प्राचीन काल में, ऋषि उसी तरह की प्रक्रिया का उपयोग कर रहे थे जैसे हम छठ पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के ठोस या तरल आहार के बिना करते थे। उसी तरह की प्रक्रिया की मदद से, वे भोजन और पानी के बजाय सीधे सूर्य से जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा को अवशोषित करने में सक्षम थे।

छठ पूजा प्रक्रिया के फ़ायदे

❀ छठ पूजा की प्रक्रिया भक्त के मानसिक अनुशासन पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य भक्त को मानसिक शुद्धता की ओर ले जाना है। कई अनुष्ठानों की मदद से, छठ व्रत सभी प्रसाद और पर्यावरण में अत्यधिक स्वच्छता बनाए रखने पर केंद्रित है। इस त्योहार के दौरान एक चीज जो सबसे ऊपर रहती है वह है साफ-सफाई।

❀ यह मन और शरीर पर एक महान विषहरण प्रभाव डालता है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप जैव रासायनिक परिवर्तन होते हैं। 36 घंटे के लंबे उपवास से शरीर का पूर्ण विषहरण होता है।

❀ प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों से लड़ने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा का उपयोग करती है। ध्यान, प्राणायाम, योग और छठ अनुष्ठान जैसी विषहरण प्रक्रिया की मदद से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों की मात्रा को बेहद कम किया जा सकता है।

❀ सूर्य के प्रकाश का सुरक्षित विकिरण फंगल और जीवाणु संक्रमण को ठीक करता है। छठ पूजा के परिणामस्वरूप, रक्त प्रवाह द्वारा अवशोषित ऊर्जा श्वेत रक्त कोशिकाओं के कार्य में सुधार करती है। साथ ही सौर ऊर्जा हार्मोन के स्राव को भी संतुलित करती है।

चैती छठ

चैती छठ सबसे पुराना छठ पर्व है, चैती छठ का अपना महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार छठ पूजा साल में दो बार मनाई जाती है, चैत्र के महीने में पड़ने वाली छठ पूजा को चैती छठ जो की इंग्लिश केलिन्डर के हिसाब से मार्च या अप्रैल के महीने में मनाया जाता है और दूसरी छठ पर्व अक्टूबर या नवंबर में कार्तिक के महीने में मनाई जाती है। कार्तिक मास में पड़ने वाली छठ पूजा लोगों के बीच अधिक प्रसिद्ध है।

चैती छठ करने से शरीर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही परिवार की सारी उलझनें दूर होंगी। देश के कई हिस्सों में चैती छठ पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में लोक आस्था का यह महापर्व बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है।

संबंधित जानकारियाँ

आगे के त्यौहार(2025)
25 October 202526 October 202527 October 202528 October 2025
भविष्य के त्यौहार
13 November 20262 November 202721 October 20289 November 202930 October 2030
आवृत्ति
अर्ध वार्षिक
समय
4 दिन
शुरुआत तिथि
कार्तिक / चैत्र शुक्ल चतुर्थी
समाप्ति तिथि
कार्तिक / चैत्र शुक्ल सप्तमी
महीना
अक्टूबर / नवंबर
प्रकार
बिहार का सार्वजनिक अवकाश
कारण
सूर्य देव एवं छठी मैया की पूजा।
उत्सव विधि
स्नान, सूर्य को अर्घ्य, भजन, कीर्तन, आरती, मेले।
महत्वपूर्ण जगह
बिहार, झारखंड एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश, नदी घाट, नहर घाट, तालाब एवं जल श्रोत।
पिछले त्यौहार
छठ पूजा: उषा अर्घ्य : 8 November 2024, छठ पूजा: संध्या अर्घ्य : 7 November 2024, छठ पूजा: खरना और लोहंडा : 6 November 2024, छठ पूजा: नहाये खाये : 5 November 2024

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नहाये खाये 2025 तिथियाँ

FestivalDate
नहाये खाये25 October 2025
खरना और लोहंडा26 October 2025
छठ पूजा, संध्या अर्घ्य27 October 2025
उषा अर्घ्य28 October 2025
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