शिवरात्रि, सावन के सोमवार, सोमवर, सोलह सोमवर, काँवड़, सावन के महिने मे अत्यधिक प्रयोग मे आने वाले शिव, शंकर, भोले, भोलेनाथ, महादेव एवं महाकाल के प्रसिद्ध भजन।
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पवनसुत राम के प्यारे हो, पवनसुत राम के प्यारे हो ये कहती दुनियाँ सारी है, तेरे जैसा और ना कोई संकट हारी है,
पवनसुत राम के प्यारे हो, पवनसुत राम के प्यारे हो ये कहती दुनियाँ सारी है, पवनसुत राम के प्यारे हो ॥
मानिये पहले गजानन, गजवदन हे गणपति, जिसने भी दिल से पुकारा, दुखहरण हे गणपति, जिसने भी दिल से पुकारा, दुखहरण हे गणपति, तुम भी बोलो गणपति, और हम भी बोले गणपति ॥
शिव शंकर सूत देव गणपति, देवो में बलकारी, सबसे पहले तेरा सुमिरण, करती दुनिया सारी, देवो में देव है निराला, अपना है सेठ गणपति लाला, अपना है सेठ गणपति लाला ॥
आओ आओ गणपति महाराज, पधारों म्हारे अंगना जी, कबसे रस्ता रहे है निहार, कबसे रस्ता रहे है निहार, पधारों म्हारे अंगना जी, आओ आओ देवों के सरताज, पधारों म्हारे अंगना जी ॥