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श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - श्लोक 26 (Shrimad Bhagwat Geeta: Arjun Visada Yog: Shlok 26)


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तत्रापश्यत्स्थितान्‌ पार्थः पितृनथ पितामहान्‌ ।
आचार्यान्मातुलान्भ्रातृन्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा ॥
भावार्थ: वहाँ अर्जुन ने उन दोनों सेनाओं में खड़े पिता के भाइयों पितामहों आचार्यों मामों भाइयों पुत्रों पौत्रों मित्रों श्वसुरों और सुहृदों को भी देखा।
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