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श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - श्लोक 33 (Shrimad Bhagwat Geeta: Arjun Visada Yog: Shlok 33)


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येषामर्थे काङक्षितं नो राज्यं भोगाः सुखानि च ।
त इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणांस्त्यक्त्वा धनानि च ॥
भावार्थ: हमें जिनके लिए राज्य, भोग और सुखादि अभीष्ट हैं, वे ही ये सब धन और जीवन की आशा को त्यागकर युद्ध में खड़े हैं।
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