Hanuman Jayanti
Hanuman Jayanti Specials - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa -

विनय पत्रिका: भैरवरूप शिव स्तुति (Vinay Patrika: Bhairavroop Shiv Stuti)


Add To Favorites Change Font Size
देव,
भीषणाकार, भैरव, भयंकर, भूत-प्रेत-प्रमथाधिपति, विपति-हर्ता ।
मोह-मूषक-मार्जार, संसार-भय-हरण, तारण-तरण, अभय कर्ता ॥ १ ॥
अतुल बल, विपुलविस्तार, विग्रहगौर, अमल अति धवल धरणीधराभं ।
शिरसि संकुलित-कल-जूट पिंगलजटा, पटल शत-कोटि-विद्युच्छटाभं ॥ २ ॥

भ्राज विबुधापगा आप पावन परम, मौलि-मालेव शोभा विचित्रं ।
ललित लल्लाटपर राज रजनीशकल, कलाधर, नौमि हर धनद-मित्रं ॥ ३ ॥

इंदु-पावक-भानु-भानुनयन, मर्दन-मयन, गुण-अयन, ज्ञान-विज्ञान-रूपं ।
रमण-गिरिजा, भवन भूधराधिप सदा, श्रवण कुंडल, वदनछवि अनूपं ॥ ४ ॥

चर्म-चर्मअसि-शूल-धर, डमरु-शर-चाप-कर, यान वृषभेश, करुणा-निधानं ।
जरत सुर-असुर, नरलोक शोकाकुलं, मृदुलचित, अजित, कृत गरलपानं ॥ ५ ॥

भस्म तनु-तनुभूषणं, भूषणंव्याघ्र-चर्माम्बरं, उरग-नर-मौलि उर मालधारी ।
डाकिनी, शाकिनी, खेचरं, भूचरं, यंत्र-मंत्र-भंजन, प्रबल कल्मषारी ॥ ६ ॥

काल-अतिकाल, कलिकाल, व्यालादि-खग, त्रिपुर-मर्दन, भीम-कर्म भारी ।
सकल लोकान्त-कल्पान्त शूलाग्र कृत दिग्गजाव्यक्त-गुण नृत्यकारी ॥ ७ ॥

पाप-संताप-घनघोर संसृति दीन, भ्रमत जग योनि नहिं कोपि त्राता ।
पाहि भैरव-रूप राम-रूपी रुद्र, बंधु, बंधुगुरु, जनक, जननी, विधाता ॥ ८ ॥

यस्य गुण-गण गणति विमल मति शारधा, निगम नारद-प्रमुख ब्रह्मचारी ।
शेष, सर्वेश, आसीन आनंदवन, दास टुलसी प्रणत-त्रासहारी ॥ ९ ॥

Granth Vinaypatrika GranthVinay Pad GranthRam Vinayavali GranthTulsidas Ji Rachit Granth

अगर आपको यह ग्रंथ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ग्रंथ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..

Hanuman Chalisa -
Hanuman Chalisa -
×
Bhakti Bharat APP