Shri Ram Bhajan

कथाएँ

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 24

मणिग्रीव बोला- हे द्विज! विद्वानों से पूर्ण और सुन्दर चमत्कारपुर में धर्मपत्नी के साथ में रहता था। धनाढय, पवित्र आचरण वाला, परोपकार में तत्पर मुझको किसी समय संयोग से दुष्ट बुद्धि पैदा हुई।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 23

दृढ़धन्वा राजा बोला - हे मुनियों में श्रेष्ठ! हे दीनों पर दया करने वाले! श्रीपुरुषोत्तम मास में दीप-दान का फल क्या है? सो कृपा करके मुझसे कहिये।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22

दृढ़धन्वा राजा बोला - हे तपोधन! पुरुषोत्तम मास के व्रतों के लिए विस्तार पूर्वक नियमों को कहिये। भोजन क्या करना चाहिये? और क्या नहीं करना चाहिये? और व्रती को व्रत में क्या मना है? विधान क्या है?

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 21

बाल्मीकि मुनि बोले - इसके बाद फिर प्रतिभा की अनलोत्तारण क्रिया करके प्राण प्रतिष्ठा करें। अन्यथा यदि प्राण प्रतिष्ठा नहीं करता है तो वह प्रतिमा धातु ही कही जायगी

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 20

सूतजी बोले - हे विप्रो! नारायण के मुख से राजा दृढ़धन्वा के पूर्वजन्म का वृत्तान्त श्रवणकर अत्यन्त तृप्ति न होने के कारण नारद मुनि ने श्रीनारायण से पूछा।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 19

श्रीसूत जी बोले - हे तपस्वियो! इस प्रकार कहते हुए श्रीनारायण को मुनिश्रेष्ठ नारद मुनि ने मधुर वचनों से प्रसन्न करके कहा।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 18

नारद जी बोले - हे तपोनिधे! उसके बाद साक्षात्‌ भगवान्‌ बाल्मीकि मुनि ने राजा दृढ़धन्वा को क्या कहा सो आप कहिये।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 17

नारदजी बोले - हे कृपा के सिन्धु! उसके बाद जागृत अवस्था को प्राप्त उस राजा दृढ़धन्वा का क्या हुआ? सो मुझसे कहिये जिसके सुनने से पापों का नाश कहा गया है।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 15

श्रीनारायण बोले, 'नारद! सुदेव शर्मा ब्राह्मण हाथ जोड़कर गद्‌गद स्वर से भक्तवत्सल श्रीकृष्णदेव की स्तुति करता हुआ बोला

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पद्मिनी एकादशी व्रत कथा

श्री भगवान बोले, हे राजन्! अधिकमास में शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है वह पद्मिनी (कमला) एकादशी कहलाती है।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 8

सूतजी बोले - हे तपोधन! विष्णु और श्रीकृष्ण के संवाद को सुन सन्तुष्टमन नारद, नारायण से पुनः प्रश्न करने लगे।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 7

सूतजी बोले - हे तपोधन! आप लोगों ने जो प्रश्न किया है वही प्रश्न नारद ने नारायण से किया था सो नारायण ने जो उत्तर दिया वही मैंआप लोगों से कहता हूँ।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 5

नारद जी बोले - हे महाभाग! हे तपोनिधे! इस प्रकार अधिमास के वचनों को सुनकर हरि ने चरणों के आगे पड़े हुए अधिमास से क्या कहा?

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