बनखंडी नाथ मंदिर, जिसे बाबा बनखंडी नाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, बरेली (जोगीनवाड़ा क्षेत्र) में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। यहाँ भगवान शिव की नाथ रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर महाभारत के द्वापर युग से जुड़ा माना जाता है और पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने शिवलिंग स्थापित करके इसका निर्माण कराया था। मान्यता है कि यहाँ भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
बनखंडी नाथ मंदिर का इतिहास और महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का संबंध द्वापर युग से माना जाता है, जहाँ स्वयं द्रौपदी ने शिवलिंग की स्थापना की थी। इसी कारण इसे अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। यहाँ कई संतों ने घोर तपस्या की थी और कई संतों के समाधि स्थल आज भी मंदिर परिसर में मौजूद हैं। दशनाम जूना अखाड़ा इस मंदिर की देखभाल करता है।
\"बनखंडी\" नाम वनखंड (वन + टूटा हुआ) शब्द से बना है - ऐसा कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस मंदिर को नष्ट करने की कोशिश की थी, लेकिन शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ। यह मंदिर बरेली के सात नाथ मंदिरों में से एक है, जो इस शहर को नाथ नगरी के नाम से खास बनाता है। भक्तों का मानना है कि यहाँ स्थित शिवलिंग स्वयंभू है और रंग बदलने जैसी विचित्र घटनाएँ भी यहाँ देखी जाती हैं। कुछ स्रोतों का कहना है कि शिवलिंग का रंग दिन में तीन बार बदलता है।
जोगिनवाड़ा के पुराने शहर क्षेत्र में स्थित, मंदिर परिसर में मुख्य शिव मंदिर के अलावा कई छोटी मूर्तियाँ, शिवलिंग और एक विशाल तालाब है जिसके चारों ओर 108 शिवलिंग उत्कीर्ण हैं। मंदिर परिसर के बाहर हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति (लगभग 51 फीट) स्थापित है।
बनखंडी नाथ मंदिर का दर्शन समय
बनखंडी नाथ मंदिर पूरे दिन दर्शन के लिए खुला रहता है। सावन और शिवरात्रि के महीने में बड़ी संख्या में भक्त जलाभिषेक और पूजा के लिए मंदिर आते हैं। इन अवसरों पर मंदिर परिसर में भक्तों की कतारें और कावड़ यात्रा का दृश्य देखने को मिलता है।
बनखंडी नाथ मंदिर का मुख्य उत्सव
शिवरात्रि और सावन सोमवार इस मंदिर के प्रमुख उत्सव हैं। और अन्य शिव उत्सवों के दौरान यहाँ का वातावरण अत्यंत भक्तिमय होता है।
बनखंडी नाथ मंदिर कैसे पहुँचें:
बरेली के जोगीनवाड़ा क्षेत्र में स्थित बनखंडी नाथ मंदिर राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के माध्यम से उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। बरेली जंक्शन निकटतम रेलवे स्टेशन है। चूँकि मंदिर पुराने शहर के इलाके में स्थित है, इसलिए आपको अपना वाहन कुछ दूरी पर पार्क करना पड़ सकता है।
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