Shri Ram Bhajan

ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी (Ishwar Ne Mere Bhagya Me Kya Likha Hai)


Add To Favorites Change Font Size
दूसरों के पीछे मत भागो?
एक बार स्वामी विवेकानद जी अपने आश्रम में एक छोटे पालतू कुत्ते के साथ टहल रहे थे। तभी अचानक एक युवक उनके आश्रम में आया और उनके पैरों में झुक गया और कहने लगा- स्वामीजी मैं अपनी जिंदगी से बड़ा परेशान हूँ। मैं प्रतिदिन पुरुषार्थ करता हूँ लेकिन आज तक मैं सफलता प्राप्त नहीं कर पाया। पता नहीं ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है, जो इतना पढ़ा-लिखा होने के बावजूद भी मैं नाकामयाब हूँ।
युवक की परेशानी को स्वामीजी ने तुरंत समझ लिया। उन्होंने युवक से कहा- भाई! थोड़ा मेरे इस कुत्ते को कहीं दूर तक सैर करा दो। उसके बाद मैं तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर दूंगा।

उनकी इस बात पर युवक को थोड़ा अजीब लगा लेकिन दोबारा उसने कोई प्रश्न नहीं किया और कुत्ते को दौड़ाते हुए आगे निकल पड़ा। कुत्ते को सैर कराने के बाद, जब एक युवक आश्रम में पहुंचा तो वह देखा कि युवक का चेहरा तेज है लेकिन उसका छोटा कुत्ता थक से जोर-जोर से हांफ रहा था।

स्वामीजी ने पूछा- भाई, मेरा कुत्ता इतना कैसे थक गया? तुम तो बड़े शांत दिख रहे हो। क्या तुम्हें थकावट नहीं हुई?
युवक ने कहा- स्वामीजी, मैं धीरे-धीरे आराम से चल रहा था, लेकिन मेरा कुत्ता अशांत था। सभी जानवरों के पीछे दौड़ता था, इसीलिए बहुत थक गया था।

तब विवेकानंद ने कहा- भाई, तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर तो यही है! तुम्हारा लक्ष्य तुम्हारे आसपास है, लेकिन तुम उससे दूर चलते हो। अन्य लोगों के पीछे दौड़ते रहते हो और तुम जो चाहते हो वह दूर हो जाता है।

युवक ने विवेकानंद के उत्तर से संतुष्ट होकर अपनी गलती को सुधारने का निर्णय लिया। अतः अपने लक्ष्य पर ध्यान रखो और भटकाने वाली सोच से दूरी बनाओ।
यह भी जानें

Prerak-kahani Ishwar Prerak-kahaniSwami Vivekanand Prerak-kahaniDog Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

बुढ़िया माई को मुक्ति दी - तुलसी माता की कहानी

कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसीजी को सींचती और कहती कि: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूँ..

भरे हुए में राम को स्थान कहाँ? - प्रेरक कहानी

लोभ, लालच, ईर्ष्या, द्वेष और भली-बुरी बातों से जब दिल-दिमाग भरा रहेगा तो उसमें ईश्वर का वास कैसे होगा?

मानव सेवा में गोल्ड मेडेलिस्ट - प्रेरक कहानी

वासु भाई और वीणा बेन गुजरात के एक शहर में रहते हैं। आज दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे।..

तोटकाचार्य कैसे बने शंकराचार्य के प्रिय शिष्य - सत्य कथा

वहाँ अवाक् बैठे सभी शिष्य तब और ज्यादा अवाक् हो गए जब उन्होंने देखा कि गुरु शंकराचार्य ने गिरी को आदेश देते हुए कहा कि आज उनकी जगह पर गिरी ब्रह्मसूत्र पर शंकराचार्य के मन्तव्य को समझाएंगे।

क्या भोग लगाना पाखंड है? - प्रेरक कहानी

1) उसमें से भगवान क्या खाते हैं? 2) क्या पीते हैं? 3) क्या हमारे चढ़ाए हुए पदार्थ के रुप रंग स्वाद या मात्रा में कोई परिवर्तन होता है?

श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी

एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था..

भक्तमाल सुमेरु तुलसीदास जी - सत्य कथा

भक्तमाल सुमेरु श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज| वृंदावन में भंडारा | संत चरण रज ही नहीं अपितु पवित्र व्रजरज इस जूती पर लगी है | हां ! संत समाज में दास को इसी नाम से जाना जाता है..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP