गणेश चतुर्थी - Ganesha Chaturthi

कठिनाइयों में शांत रहना, वास्तव में शांति है। (Kathinaiyon Me Shant Rahna, Vastav Me Shanti Hai)


Add To Favorites Change Font Size
एक राजा था जिसे चित्रकला से बहुत प्रेम था। एक बार उसने घोषणा की कि जो कोई भी चित्रकार उसे एक ऐसा चित्र बना कर देगा जो शांति को दर्शाता हो, तो वह उसे मुँह माँगा पुरस्कार देगा।
निर्णय वाले दिन एक से बढ़ कर एक चित्रकार पुरस्कार जीतने की लालसा से अपने-अपने चित्र लेकर राजा के महल पहुँचे। राजा ने एक-एक करके सभी चित्रों को देखा और उनमें से दो चित्रों को अलग रखवा दिया। अब इन्ही दोनों में से एक को पुरस्कार के लिए चुना जाना था।

पहला चित्र एक अति सुंदर शांत झील का था। उस झील का पानी इतना स्वच्छ था कि उसके अंदर की सतह तक दिखाई दे रही थी। और उसके आस-पास विद्यमान हिमखंडों की छवि उस पर ऐसे उभर रही थी मानो कोई दर्पण रखा हो। ऊपर की ओर नीला आसमान था जिसमें रुई के गोलों के सामान सफ़ेद बादल तैर रहे थे। जो कोई भी इस चित्र को देखता उसको यही लगता कि शांति को दर्शाने के लिए इससे अच्छा कोई चित्र हो ही नहीं सकता। वास्तव में यही शांति का एक मात्र प्रतीक है।

दूसरे चित्र में भी पहाड़ थे, परंतु वे बिलकुल सूखे, बेजान, वीरान थे और इन पहाड़ों के ऊपर घने गरजते बादल थे जिनमें बिजलियाँ चमक रहीं थीं, घनघोर वर्षा होने से नदी उफान पर थी, तेज हवाओं से पेड़ हिल रहे थे, और पहाड़ी के एक ओर स्थित झरने ने रौद्र रूप धारण कर रखा था। जो कोई भी इस चित्र को देखता यही सोचता कि भला इसका शांति से क्या लेना देना? इसमें तो बस अशांति ही अशांति है।

सभी आश्वस्त थे कि पहले चित्र बनाने वाले चित्रकार को ही पुरस्कार मिलेगा। तभी राजा अपने सिंहासन से उठे और घोषणा की कि दूसरा चित्र बनाने वाले चित्रकार को वह मुँह माँगा पुरस्कार देंगे। हर कोई आश्चर्य में था!

पहले चित्रकार से रहा नहीं गया, वह बोला: लेकिन महाराज उस चित्र में ऐसा क्या है जो आपने उसे पुरस्कार देने का फैसला लिया, जबकि हर कोई यही कह रहा है कि मेरा चित्र ही शांति को दर्शाने के लिए सर्वश्रेष्ठ है?

आओ मेरे साथ! राजा ने पहले चित्रकार को अपने साथ चलने के लिए कहा।
दूसरे चित्र के समक्ष पहुँच कर राजा बोले: झरने के बायीं ओर हवा से एक ओर झुके इस वृक्ष को देखो। उसकी डाली पर बने उस घोंसले को देखो, देखो कैसे एक चिड़िया इतनी कोमलता से, इतने शांत भाव व प्रेमपूर्वक अपने बच्चों को भोजन करा रही है।

फिर राजा ने वहाँ उपस्थित सभी लोगों को समझाया: शांत होने का अर्थ यह नहीं है कि आप ऐसी स्थिति में हों जहाँ कोई शोर नहीं हो, कोई समस्या नहीं हो, जहाँ कड़ी मेहनत नहीं हो, जहाँ आपकी परीक्षा नहीं हो। शांत होने का सही अर्थ है कि आप हर तरह की अव्यवस्था, अशांति, अराजकता के बीच हों और फिर भी आप शांत रहें, अपने काम पर केंद्रित रहें अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहें।

अब सभी समझ चुके थे कि दूसरे चित्र को राजा ने क्यों चुना है।

हर कोई अपने जीवन में शांति चाहता है। परंतु प्राय: हम शांति को कोई बाहरी वस्तु समझ लेते हैं, और उसे दूरस्थ स्थलों में ढूँढते हैं, जबकि शांति पूरी तरह से हमारे मन की भीतरी चेतना है। और सत्य यही है कि सभी दुःख-दर्दों, कष्टों और कठिनाइयों के बीच भी शांत रहना ही वास्तव में शांति है।
यह भी जानें

Prerak-kahani Raja Prerak-kahaniKing Prerak-kahaniChitrakar Prerak-kahaniPainter Prerak-kahaniPainting Prerak-kahaniPrize Prerak-kahaniShanti Prerak-kahaniPeace Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

गणेश विनायक जी की कथा - प्रेरक कहानी

एक गाँव में माँ-बेटी रहती थीं। एक दिन वह अपनी माँ से कहने लगी कि गाँव के सब लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं..

दद्दा की डेढ़ टिकट - प्रेरक कहानी

एक देहाती बुजुर्ग ने चढ़ने के लिए हाथ बढ़ाया। एक ही हाथ से सहारा ले डगमगाते कदमों से वे बस में चढ़े, क्योंकि दूसरे हाथ में थी भगवान गणेश की एक अत्यंत मनोहर बालमूर्ति थी।

परमात्मा! जीवन यात्रा के दौरान हमारे साथ हैं - प्रेरक कहानी

प्रतिवर्ष माता पिता अपने पुत्र को गर्मी की छुट्टियों में उसके दादा-दादी के घर ले जाते । 10-20 दिन सब वहीं रहते और फिर लौट आते।..

ह्रदय से जो जाओगे सबल समझूंगा तोहे: सूरदास जी की सत्य कथा

हाथ छुड़ाए जात हो, निवल जान के मोये । मन से जब तुम जाओगे, तब प्रवल माने हौ तोये । - सूरदास जी

कर्म-योग क्या है? - प्रेरक कहानी

एक बार एक बालक रमन महर्षि के पास आया! उन्हे प्रणाम कर उसने अपनी जिज्ञासा उनके समक्ष रखी! वह बोला- क्या आप मुझे बता सकते है कि कर्म-योग क्या है?...

क्या कठिन परिस्थितियों या हालातों पर रोना चाहिए?

जब चिड़िया ने लगाई गरुड़ जी से दौड़ : एक दिन की बात है एक चिड़िया आकाश में अपनी उड़ान भर रही होती है। गरुड़ उस चिड़िया को खाने को दौड़ता है..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Bhakti Bharat APP