Shri Krishna Bhajan

जब भगवन ने मुझे गोदी उठाया - प्रेरक कहानी (Jab Bhagwan Ne Mujhe Godi Uthaya)


Add To Favorites Change Font Size
जन्म से ठीक पहले एक बालक भगवान से कहता है- प्रभु आप मुझे नया जन्म मत दीजिये, मुझे पता है पृथ्वी पर बहुत बुरे लोग रहते है, मैं वहाँ नहीं जाना चाहता।
और ऐसा कह कर वह उदास होकर बैठ जाता है।
भगवान् स्नेह पूर्वक उसके सर पर हाथ फेरते हैं और सृष्टि के नियमानुसार उसे जन्म लेने की महत्ता समझाते हैं, बालक कुछ देर हठ करता है पर भगवान् के बहुत मनाने पर वह नया जन्म लेने को तैयार हो जाता है।

ठीक है प्रभु, अगर आपकी यही इच्छा है कि मैं मृत लोक में जाऊं तो वही सही, पर जाने से पहले आपको मुझे एक वचन देना होगा। -बालक भगवान् से कहता है।
भगवान्- बोलो पुत्र तुम क्या चाहते हो?

बालक- आप वचन दीजिये कि जब तक मैं पृथ्वी पर हूँ तब तक हर एक क्षण आप भी मेरे साथ होंगे।
भगवान्- अवश्य ऐसा ही होगा।

बालक- पर पृथ्वी पर तो आप अदृश्य हो जाते हैं, भला मैं कैसे जानूंगा कि आप मेरे साथ हैं कि नहीं?

पैरों के निशान
भगवान्- जब भी तुम आँखें बंद करोगे तो तुम्हे दो जोड़ी पैरों के चिन्ह दिखाइये देंगे, उन्हें देखकर समझ जाना कि मैं तुम्हारे साथ हूँ।

फिर कुछ ही क्षणो में बालक का जन्म हो जाता है।

जन्म के बाद वह संसारिक बातों में पड़कर भगवान् से हुए वार्तालाप को भूल जाता है| पर मरते समय उसे इस बात की याद आती है तो वह भगवान के वचन की पुष्टि करना चाहता है।

वह आखें बंद कर अपना जीवन याद करने लगता है। वह देखता है कि उसे जन्म के समय से ही दो जोड़ी पैरों के निशान दिख रहे हैं| परंतु जिस समय वह अपने सबसे बुरे वक़्त से गुजर रहा था उस समय केवल एक जोड़ी पैरों के निशान ही दिखाइये दे रहे थे, यह देख वह बहुत दुखी हो जाता है कि भगवान ने अपना वचन नही निभाया और उसे तब अकेला छोड़ दिया जब उनकी सबसे अधिक ज़रुरत थी।

मरने के बाद वह भगवान् के समक्ष पहुंचा और रूठते हुए बोला- प्रभु ! आपने तो कहा था कि आप हर समय मेरे साथ रहेंगे, पर मुसीबत के समय मुझे दो की जगह एक जोड़ी ही पैर दिखाई दिए, बताइये आपने उस समय मेरा साथ क्यों छोड़ दिया?

भगवान् मुस्कुराये और बोले- पुत्र! जब तुम घोर विपत्ति से गुजर रहे थे तब मेरा ह्रदय द्रवित हो उठा और मैंने तुम्हे अपनी गोद में उठा लिया, इसलिए उस समय तुम्हे सिर्फ मेरे पैरों के चिन्ह दिखायी पड़ रहे थे।

बहुत बार हमारे जीवन में बुरा वक़्त आता है, कई बार लगता है कि हमारे साथ बहुत बुरा होने वाला है, पर जब बाद में हम पीछे मुड़ कर देखते हैं तो पाते हैं कि हमने जितना सोचा था उतना बुरा नहीं हुआ, क्योंकि शायद यही वो समय होता है जब ईश्वर हम पर सबसे ज्यादा कृपा करता है।
यह भी जानें

Prerak-kahani Prabhu Kripa Prerak-kahaniBhagwan Prerak-kahaniBalak Prerak-kahaniBoy Prerak-kahaniPairon Ke Nishan Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

तोटकाचार्य कैसे बने शंकराचार्य के प्रिय शिष्य - सत्य कथा

वहाँ अवाक् बैठे सभी शिष्य तब और ज्यादा अवाक् हो गए जब उन्होंने देखा कि गुरु शंकराचार्य ने गिरी को आदेश देते हुए कहा कि आज उनकी जगह पर गिरी ब्रह्मसूत्र पर शंकराचार्य के मन्तव्य को समझाएंगे।

क्या भोग लगाना पाखंड है? - प्रेरक कहानी

1) उसमें से भगवान क्या खाते हैं? 2) क्या पीते हैं? 3) क्या हमारे चढ़ाए हुए पदार्थ के रुप रंग स्वाद या मात्रा में कोई परिवर्तन होता है?

श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी

एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था..

भक्तमाल सुमेरु तुलसीदास जी - सत्य कथा

भक्तमाल सुमेरु श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज| वृंदावन में भंडारा | संत चरण रज ही नहीं अपितु पवित्र व्रजरज इस जूती पर लगी है | हां ! संत समाज में दास को इसी नाम से जाना जाता है..

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा जगन्नाथ जी दर्शन - सत्य कथा

जगन्नाथ जी का दर्शन | जगन्नाथ जी ने आपके लिए प्रसाद भेजा है | मेरे मंदिर के चारों द्वारों पर हनुमान का पहरा है | वह स्थान तुलसी चौरा नाम से विख्यात हुआ..

तुलसीदास जी द्वारा श्री रामचरितमानस की रचना - सत्य कथा

दो वर्ष सात महीने छब्बीस दिन मे श्रीरामचरित मानस की रचना समाप्त हुई। संवत् १६३३ मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष में रामविवाह के दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।

तुलसीदास जी ने स्त्री को पुरुष मे बदला: सत्य कथा

चरवारी के ठाकुर की लड़की जो कि बहुत ही सुन्दरी थी। इसके माता पिता को बहुत प्रयास करने पर पुत्र प्राप्त नहीं हुआ, पुत्री हो गयी।

Om Jai Jagdish Hare Aarti - Om Jai Jagdish Hare Aarti
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP