Updated: Jul 07, 2025 13:57 PM |
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Radha Ashtami Date: Sunday, 31 August 2025
राधाष्टमी राधा रानी के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है, जिन्हें माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है। राधा रानी को भगवान कृष्ण की दैवीय प्रेमिका के रूप में जाना जाता है, इनका अवतार कमल के फूल से हुआ, तथा भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु के आठवें अवतार रूप में माना गया हैं।
राधाष्टमी मुख्य रूप से उन भक्तों द्वारा मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं। हिंदू पांचांग के अनुसार राधाष्टमी भद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष के आठवें दिन मनाई जाती है। राधाष्टमी के दिन श्रद्धालु बरसाना की ऊँची पहाडी़ पर स्थित गहवर की परिक्रमा करते हैं।
परंपराओं के अनुसार, गौडिया वैष्णव संप्रदाय श्रीकृष्ण एवं राधा रानी के प्रति समर्पित होकर उनकी पूजा करते है। यह संप्रदाय चैतन्य महाप्रभु द्वारा वर्णित भगवत गीता और भागवत पुराण का पाठ करते हैं, चैतन्य महाप्रभु वैष्णव संप्रदाय के संस्थापक है। गौडिया वैष्णव संप्रदाय राधाष्टमी को अपनी प्रथाओं और परम्पराओं के अनुरूप आधे दिन उपवास का करते हैं। कुछ भक्त इस दिन सख्त उपवास का पालन भी करते हैं। वे पानी की बूंद का उपभोग किए बिना पूरे दिन कड़ा व्रत करते हैं। राधाष्टमी भगवान कृष्ण और राधा रानी के ईश्वरीय प्रेम के समरूप मनाया जाता है, भक्त श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त हेतु प्रशंसा, भजन और गीतों के साथ राधा रानी की पूजा करते हैं।
परंपरागत रूप से राधाष्टमी मुख्य रूप से ब्रज क्षेत्र में मनाया जाता है। इस दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण के विग्रह पूर्ण रूप से फूलों से सजाया जाता हैं। राधाष्टमी वह दिन है जब भक्त राधा रानी के चरणों के शुभ दर्शन प्राप्त करते हैं, क्योंकि दूसरे दिनों में राधा के पैर ढके रहते हैं।
राधाष्टमी के दिन, भक्तों द्वारा दिव्य प्रेमी जोड़े (भगवान कृष्ण और राधा रानी) की प्रशंसा में भक्ति, आध्यात्मिक और श्री राधा गायत्री मंत्र का पाठ आयोजित किया जाता हैं। राधाष्टमी को बरसाना, मथुरा, वृंदावन, नंदगाँव तथा आस-पास के क्षेत्र (ब्रज भूमि) में मुख्य रूप से मनाया जाती है।
राधाष्टमी भगवान और मनुष्य के बीच एक अद्वितीय संबंध का प्रतीक है, जो श्रीकृष्ण और राधारानी के निःस्वार्थ दैवीय प्रेम बंधन को दर्शाता है। राधा अष्टमी उत्सव भारत के प्रसिद्ध जन्माष्टमी उत्सव के 15 दिनों के बाद मनाया जाता है।
आमतौर पर बरसाने के पवित्र राधा कुंड में स्नान करना निषिद्ध है। लेकिन राधा अष्टमी के दिन, भक्त राधा कुंड के पवित्र जल में डुबकी लेने के लिए मध्यरात्रि तक कतार में खड़े होकर प्रतीक्षा करते हैं ताकि वह अपने आराध्य के दिव्य प्रेम और आशीर्वाद को प्राप्त कर सकें। बरसाना को ही श्री लाड़ली जी की स्थली माना जाता है।
संबंधित अन्य नाम | राधा जयंती |
शुरुआत तिथि | भाद्रपद शुक्ला अष्टमी |
कारण | श्री राधा रानी के अवतरण दिवस। |
उत्सव विधि | रास लीला, श्री राधा कृष्ण मंदिर में पूजा, उपवास। |
Radhashtami is celebrated as the birth anniversary of Radha Rani. Radha Rani is considered as another form of Goddess Lakshmi.
राधाष्टमी कब है? - Radha Ashtami Kab Hai
राधा अष्टमी - रविवार, 31 अगस्त 2025
मध्याह्न शुभ मुहूर्त - 11:05 AM - 1:38 PM
अष्टमी तिथि - 30 अगस्त 2025 10:46 PM - 1 सितम्बर 2025 12:57 AM
ब्रज में राधाष्टमी उत्सव
ब्रज और बरसाना में जन्माष्टमी की तरह राधाष्टमी भी एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाई जाती है। वृंदावन में भी यह उत्सव बडे़ ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। मथुरा, वृन्दावन, बरसाना, रावल और मांट के राधा रानी मंदिरों में इस दिन को उत्सव के रुप में मनाया जाता है।
वृन्दावन के
राधा बल्लभ मंदिर में राधा जन्म की खुशी में गोस्वामी समाज के लोग भक्ति में झूम उठते हैं। मंदिर का परिसर
राधा प्यारी ने जन्म लिया है, कुंवर किशोरी ने जन्म लिया है के सामूहिक स्वरों से गूंज उठता है।
राधारानी के जन्मस्थान
रावल धाम के बारे में जानें।
विशाखा देवी
देवी विशाखा आठ प्रमुख गोपियों में दूसरी सबसे महत्वपूर्ण है। उसकी विशेषताएँ उसकी मित्र ललिता से काफी मिलती-जुलती हैं। गोपी विशाखा इस दुनिया में ठीक उसी क्षण प्रकट हुईं जब उनकी प्रिय मित्र श्रीमती राधारानी प्रकट हुईं। उनके पिता पवन हैं, माता दक्षिणा देवी हैं और उनके पति बाहुका या वाहिका गोप हैं। वह एक दिव्य जोड़े (श्री कृष्ण और राधा रानी) की घनिष्ठ मित्र है।
राधा अष्टमी व्रत पूजा विधि
❀ राधा अष्टमी व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लें।
❀ पूजा घर को अच्छी तरह साफ करें और गंगा जल छिड़कें। इसके बाद एक चौकी पर पीला रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर राधा रानी की मूर्ति या फोटो स्थापित करें. राधा जी के सामने मिट्टी या तांबे के कलश में जल, सिक्के और आम के पत्ते रखें और उस पर नारियल रखें।
❀ इसके बाद राधा रानी जी को पंचामृत से स्नान कराएं। उन्हें जल चढ़ाएं और फूल, चंदन, धूप, दीप, फल आदि चढ़ाएं। विधि-विधान से राधा जी की पूजा करें और श्रृंगार करें।
❀ राधा रानी को प्रसाद चढ़ाने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करें और उन्हें प्रसाद के रूप में फल और मिठाई के साथ तुलसी दल भी चढ़ाएं।
❀ पूजा के अंत में राधा-कृष्ण की आरती करें। आसपास के सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
राधा अष्टमी व्रत मंत्र
पूजा के दौरान राधा रानी के मंत्र ऊं ह्रीं राधिकायै नमः का जाप करें। इसके साथ ही आप श्री राधा स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। इससे राधा रानी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
संबंधित जानकारियाँ
भविष्य के त्यौहार
19 September 20268 September 202727 August 202815 September 20295 September 2030
शुरुआत तिथि
भाद्रपद शुक्ला अष्टमी
समाप्ति तिथि
भाद्रपद शुक्ला अष्टमी
कारण
श्री राधा रानी के अवतरण दिवस।
उत्सव विधि
रास लीला, श्री राधा कृष्ण मंदिर में पूजा, उपवास।
महत्वपूर्ण जगह
बरसाना, मथुरा, वृंदावन, ब्रज प्रदेश, श्री राधा कृष्ण मंदिर।
पिछले त्यौहार
11 September 2024
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