Shri Hanuman Bhajan
Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp ChannelDownload APP Now - Download APP NowDurga Chalisa - Durga ChalisaRam Bhajan - Ram Bhajan

विष्णु पुराण (Vishnu Puran)


Add To Favorites Change Font Size
इति कृत्वा मतिं कृष्णो गोवर्धनमहीधरम् ।
उत्पाट्यैककरेणेव धारयामास लीलया ॥ [ विष्णु पुराण 5/11/16 ]
भावार्थ- श्री कृष्णचन्द्र ने ऐसा विचार कर गोवर्धन पर्वत को उखाड़ लिया और उसे लीला से ही अपने एक हाथ पर उठा लिया।
स त्वां कृष्णाभिषेक्ष्यामि गावं वाक्यप्रचोदितः ।
उपेन्द्रत्वे गवामिन्द्रो गोविन्दस्त्वं भविष्यसि ॥ [ विष्णु पुराण 5/12/12 ]
भावार्थ- हे कृष्ण! अब मैं गौऔं के वाक्यानुसार ही आपका उपेंद्र पद पर अभिषेक करूँगा तथा आप गौऔं के इंद्र हैं, इसलिए आपका नाम गोविंद भी होगा।

यस्मात्त्वयैष दुष्टात्मा हतः केशी जनार्दन ।

तस्मात्केशवनाम्ना त्वं लोके ख्यातो भविष्यसि ॥ [विष्णु पुराण 5/16/23]
भावार्थ- हे जनार्दन! आपने इस दुष्टात्मा केशी को मारा है इसलिए आप लोक में केशव नाम से विख्यात होंगें।

कुर्वतां याति यः कालो मातापित्रोरपूजनम् ।
तत्खण्डमायुषो व्यर्थमसाधूनां हि जायते ॥
[विष्णु पुराण 5/21/3]
भावार्थ- जो समय माता-पिता की सेवा किए बिना बीतता है वह असाधु पुरुषों की ही आयु का भाग व्यर्थ जाता है।

गुरुदेवद्विजातीनां मातापित्रोश्च पूजनम् ।
कुर्वतां सफलः कालो देहिनां तात जायते ॥ [विष्णु पुराण 5/21/4]
भावार्थ- हे तात! गुरु, देव, ब्राह्मण एवं माता-पिता का पूजन करते रहने से देह धारियों का जीवन सफल हो जाता है।

तेनानुयातः कृष्णोऽपि प्रविवेश महागुहाम् ।
यत्र शेते महावीर्यो मुचुकुन्दो नरेश्वरः ॥ [विष्णु पुराण 5/23/18]
भावार्थ- कालयमन से पीछा किए जाते हुए श्री कृष्णचंद्र उस महा गुहा में घुस गये जिसमें महावीर्य राजा मुचुकुन्द सो रहे थे।

स हि देवासुरे युद्धे गतो हत्वा महासुरान् ।
निद्रार्तः सुमहाकालं निद्रां वव्रे वरं सुरान् ॥ [विष्णु पुराण 5/23/22]
भावार्थ- पूर्वकाल में राजा मुचुकुन्द देवताओं की ओर से देवासुर संग्राम मे गये थे, असुरों को मार चुकने पर अत्यन्त निद्रालु होने के कारण उन्होने देवताओं से बहुत समय तक सोने का वर माँगा था।

प्रोक्तश्च देवैः संसुप्तं यस्त्वामुत्थापयिष्यति ।
देहजेनाग्निना सद्यः स तु भस्मीभविष्यति ॥ [विष्णु पुराण 5/23/23]
भावार्थ- उस समय देवताओं ने कहा था कि तुम्हारे शयन करने पर तुम्हें जो कोई जगावेगा वह तुरंत ही अपने शरीर से उत्पन्न हुई अग्नि से जलकर भस्म हो जाएगा।
अगर आपको यह ग्रंथ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ग्रंथ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Durga Chalisa - Durga Chalisa
×
Bhakti Bharat APP