कावड़ियां ले चल गंग की धार: भजन (Kawadiya Le Chal Gang Ki Dhar)


कावड़िया ले चल गंग की धार ॥
दोहा – भस्म रमाए बैठे है शंकर,
सज धज के दरबार,
कावड़िया ले आओ कावड़,
राह तके सरकार ॥

कावड़िया ले चल गंग की धार,
जहाँ बिराजे भोले दानी,
करके अनोखा श्रृंगार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार ॥

अंग भभुति रमाए हुए है,
माथे चंद्र सजाए हुए है,
भंग तरंग में रहने वाले,
मस्त मलंग वो रहने वाले,
मेरे महांकल सरकार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार ॥

शंभू तेरे दर आए है,
कावड़िया कावड़ लाए है,
जपते हर हर बम बम भोले,
झूम झूम मस्ती में डोले,
करते जय जय कार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार ॥

कावड़ियां ले चल गंग की धार,
जहाँ बिराजे भोले दानी,
करके अनोखा श्रृंगार,
कावड़ियां ले चल गंग की धार ॥
Kawadiya Le Chal Gang Ki Dhar - Read in English
Kawadiya Le Chal Ganga Ki Dhar, Jhan Biraje Bhole Daani, Karke Anokha Shrungar, Kawadiya Le Chal Ganga Ki Dhar ॥
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