पूछ रही राधा बताओ गिरधारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
गोकुल में छुप छुप के माखन चुरायो,
ग्वाल वाल संग मिल बाँट के खायो ।
दर्शन की प्यासी ये राधा वेचारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
पूछ रही राधा बताओ गिरधारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
दिन सारा घूम बिन दामन भटको,
मुझसे दूर दूर रह तुम छतक्यों ।
अच्छी लगी तुम को ये ग्वालिन की गाड़ी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
पूछ रही राधा बताओ गिरधारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
कान्हा तेरे बोले से मधु कप क्त है,
संवारी सूरतियाँ से रस बरसत है ।
श्याम का है देते मेरी सुध विसारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
पूछ रही राधा बताओ गिरधारी,
मैं लगु प्यारी या बंसी है प्यारी ।
आरती कुंजबिहारी की |
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन |
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं |
आरती श्री बाल कृष्ण जी की |
ॐ जय जगदीश हरे |
मधुराष्टकम्: धरं मधुरं वदनं मधुरं |
कृष्ण भजन |
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं |
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी