Shri Ram Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

युधिष्ठर ने ही समझ, सत्यम वद का सही मतलब - प्रेरक कहानी (Yudhishthar Ne Hi Samajha Satyam Vad Ka Sahi Matlab)


Add To Favorites Change Font Size
यह उस समय की बात है जब कौरव पांडव गुरु द्रोणाचार्य के आश्रम में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। एक दिन गुरु द्रोण ने अपने सभी शिष्यों को एक सबक दिया - सत्यम वद मतलब सत्य बोलो।
उन्होंने सभी शिष्यों से कहा की इस पाठ को भली भांति याद कर लें, क्योंकि उनसे यह पाठ कल पूछा जाएगा। अध्यापन काल समाप्त होने के बाद सभी शिष्य अपने-अपने कक्षों में जाकर पाठ याद करने लगे।

अगले दिन पून: जब सभी शिष्य एकत्रित हुए तो गुरु द्रोण ने सबको बारी-बारी से खड़ा कर पाठ सुनाने के लिए कहा। सभी ने गुरु द्रोण के सामने एक दिन पहले दिया गया शब्द दोहरा दिया, लेकिन युधिष्ठर चुप रहे। गुरु के पूछने पर उन्होंने कहा की वे इस पाठ को याद नहीं कर पाये हैं।

इस प्रकार 15 दिन बीत गए, लेकिन युधिष्ठर को पाठ याद नहीं हुआ। 16 वें दिन उन्होंने गुरु द्रोण से कहा की उन्हें पाठ याद हो गया हैं और वे उसे सुनाना चाहते हैं। द्रोण की आज्ञा पाकर उन्होंने सत्यम वद बोलकर सुना दिया। गुरु ने कहा-युधिष्ठर, पाठ तो केवल दो शब्दों का था। इसे याद करने में तुम्हें इतने दिन क्यों लगें?

युधिष्ठर बोले- गुरुदेव, इस पाठ के दो शब्दों को याद करके सुना देना कठिन नहीं था, लेकिन जब तक में स्वयं आचरण में इसे धारण नहीं करता, तब तक कैसे कहता की मुझे पाठ याद हो गया है।

सच ही है की उपदेश का मर्म वही समझता है जो उसे धारण करना जानता हैं। वाणी के साथ आचरण का अंग बन जाने वाला ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है और इसे धारण करने वाला सच्चा ज्ञानी हैं। लेकिन आज के समय में तो सिर्फ पढ़ा जाता हैं अमल नहीं किया जाता।

कितने सारे लोग है, लगभग सभी ने भगवद गीता पढ़ी होगी, लेकिन युधिष्ठिर की तरह नहीं केवल ऊपर से पढ़ी होगी, शब्द-शब्द पढ़े होंगे। जरा सोचिये अगर आज के लोगों ने सच में गीता को पढ़ा होता तो आज जो हमारे मानव समाज की स्थिति हैं क्या ऐसी होती, जब तक आप किसी चीज़ को जान नहीं लेते तब तक आपका उसे पढ़ना व्यर्थ हैं।
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

महाभारत के युद्ध में भोजन प्रबंधन

आर्यावर्त के समस्त राजा या तो कौरव अथवा पांडव के पक्ष में खड़े दिख रहे थे। श्रीबलराम और रुक्मी ये दो ही व्यक्ति ऐसे थे जिन्होंने इस युद्ध में भाग नहीं लिया।

जगन्नाथ जी का खिचड़ी भोग - सत्य कथा

कर्मा बाई जी, जगन्नाथ पुरी में रहती थी और भगवान को बचपन से ही पुत्र रूप में भजती थीं।

ईर्ष्यालु व्यक्ति, किसी को सुखी-संपन्न नहीं देख सकता है - प्रेरक कहानी

ईर्ष्यालु व्यक्ति की प्रकृति यही होती है कि वह दूसरों को सुखी-संपन्न देखकर उनके जैसा उन्नत, संपन्न और सुखी होने की प्रेरणा ग्रहण नहीं करता...

तीन गुरु चोर, कुत्ता और छोटा बच्चा - प्रेरक कहानी

एक दिन एक शिष्य ने महंत से सवाल किया, स्वामीजी आपके गुरु कौन है? मेरे हजारो गुरु हैं! लेकिन फिर भी मै अपने तीन गुरुओ के बारे मे तुम्हे जरुर बताऊंगा...

सेवा का समर्पण भाव - प्रेरक कहानी

एक बार एक राजा भोजन कर रहा था, अचानक खाना परोस रहे सेवक के हाथ से थोड़ी सी सब्जी राजा के कपड़ों पर छलक गई। राजा की त्यौरियां चढ़ गयीं।

कद्दू का तीर्थ स्नान - प्रेरक कहानी

वह कद्दू ले लिया, और जहाँ-जहाँ गए, स्नान किया वहाँ-वहाँ स्नान करवाया। मंदिर में जाकर दर्शन किया तो उसे भी दर्शन करवाया।...

भगवान की लाठी तो हमेशा तैयार है - प्रेरक कहानी

एक बुजुर्ग दरिया के किनारे पर जा रहे थे। जहरीले बिच्छु ने दरिया के अन्दर छलांग लगाई..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Bhakti Bharat APP