पितृ पक्ष - Pitru Paksha

पाखंडी को परमात्मा नहीं मिलते - प्रेरक कहानी (Pakhandi Ko Bhagwan Nahi Milate)


Add To Favorites Change Font Size
श्री कृष्ण के प्रति गोपियों का प्रेम इतना अधिक बढ़ गया था कि वह उनका वियोग एक क्षण भी नहीं सह सकती थी। श्री कृष्ण के वियोग में मूर्छित होने लगी।
श्री कृष्ण ने अपने बाल मित्रों से कह दिया था कि किसी गोपी को मूर्छा आए तो मुझे बुलाना। मैं मूर्छा उतारने का मंत्र जानता हूं।

किसी गोपी को मूर्छा आती तो शीघ्र ही कृष्ण को बुलाया जाता। श्री कृष्ण जानते थे कि इस गोपी के प्राण अब मुझ में ही अटके हैं। इसे कोई वासना नहीं है। यह जीव अत्यंत शुद्ध हो गया है एवं मुझसे मिलने के लिए आतुर है। अतः श्री कृष्ण उसके सिर पर हाथ फेरते और कान में कहते, शरद पूर्णिमा की रात्रि को तुझसे मिलूंगा। तब तक धीरज रख और मेरा ध्यान कर। यह सुनकर गोपी की मूर्छा दूर हो जाती।

वृंदावन में एक वृद्धा महिला, जोकि एक गोपी की सास थी, उसे लगा कि इसमें कुछ गड़बड़ अवश्य है। इन छोकरियों को मूर्छा आती है तो कन्हैया इनके कान में कुछ मंत्र पढता है। मैं भी यह मंत्र जानना चाहती हूं।

वृद्धा ने मूर्छित होने का ढोंग करके मंत्र जानने का निश्चय किया। काम करते-करते वह एकदम गिर गई। उसकी बहू को बहुत दुख हुआ। वह कन्हैया को बुलाने दौड़ी।

श्री कृष्ण ने कहा - सफेद बाल वाले पर मेरा मंत्र नहीं चलता है। बाल सफेद होने पर भी दिल सफेद न हो, प्रभु के नाम की माला न जपे, तो ऐसा जीव मरे या जिए, इसमें कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं नहीं जाऊंगा। तू किसी दूसरे को बुला ले।

किंतु गोपी ने बहुत आग्रह किया। गोपी का शुद्ध प्रेम था, अतः उसके आग्रह को मानकर श्री कृष्ण घर आए और वृद्धा को देखकर बोले, इसको मूर्छा नहीं आई है। इसे तो भूत लगा है। किंतु घबराओ मत नवनीत। भूत उतारने का मंत्र भी मुझे आता है। एक लकड़ी ले आओ।

वृद्धा घबराई कि अब तो मार पड़ेगी। यह ढोंग तो मुझे ही भारी पड़ जाएगा।

कृष्ण ने लकड़ी के दो चार हाथ मारे कि वृद्धा बोल उठी, मुझे मत मारो, मत मारो, मुझे न मूर्छा आई है, न भूत लगा है। मैंने तो ढोंग किया था।

पाखंड भूत है। अभिमान भी भूत है। पाखंडी को परमात्मा नहीं मिलते।
यह भी जानें

Prerak-kahani Shri Krishna Prerak-kahaniPakhand Prerak-kahaniGopi Prerak-kahaniGopi Prem Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

कर्म कैसे फल देता है? - प्रेरक कहानी

ज्योतिष कहता है कि मनुष्य अपने ही कर्मो का फल पाता है। कर्म कैसे फल देता है? यह इस प्रसंग से समझे..

वृंदावन के वृक्ष को मर्म न जाने कोय - प्रेरक कहानी

क्येांकि संत को वो वृदांवन दिखता है जो साक्षात गौलोंक धाम का खंड है। हमें साधारण वृदांवन दिखता है।...

पाप का गुरु कौन? - प्रेरक कहानी

पंडित जी कई वर्षों तक काशी में शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद अपने गांव लौटे। गांव के एक किसान ने उनसे पूछा, आप हमें यह बताइए कि पाप का गुरु कौन है?...

अपनी शिक्षाओं की बोली ना लगने दें - प्रेरक कहानी

एक नगर में रहने वाले एक पंडित जी की ख्याति दूर-दूर तक थी। पास ही के गाँव में स्थित मंदिर के पुजारी का आकस्मिक निधन होने की वजह से...

शुद्ध भावनाओं से ईश्वर और सुंदर भविष्य पक्का है - प्रेरक कहानी

एक मन्दिर था, उसमें सभी लोग पगार पर थे। आरती वाला, पूजा कराने वाला आदमी, घण्टा बजाने वाला भी पगार पर था...

संगत ही गुण होत है, संगत ही गुण जाय: प्रेरक कहानी

संगत का प्रभाव: एक राजा का तोता मर गया। उन्होंने कहा: मंत्रीप्रवर! हमारा पिंजरा सूना हो गया। इसमें पालने के लिए एक तोता लाओ।

दो अनमोल हीरे - प्रेरक कहानी

एक व्यापारी को बाज़ार में घूमते हुए एक बहुत अच्छी नस्ल का ऊँट दिखाई पड़ा। व्यापारी और ऊँट बेचने वाले के बीच काफी लंबी सौदेबाजी हुई और आखिर में व्यापारी ऊँट खरीद कर घर ले आया... | दुनियाँ के सबसे अमीर व्यक्ति के पास, दो अनमोल हीरे..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
Bhakti Bharat APP