साध्वी ऋतंभरा (Sadhvi Ritambhara)


भक्तमालः साध्वी ऋतंभरा
वास्तविक नाम - निशा ऋतंबरा
अन्य नाम - दीदी, माँ
गुरु - स्वामी परमानंद गिरि
आराध्य - भगवान श्री राम
जन्म - 2 जनवरी 1964 (आयु 59 वर्ष)
जन्म स्थान - दोराहा, लुधियाना, पंजाब
पिता - प्यारेलाल
माता - कलावती
वैवाहिक स्थिति - अविवाहित
भाषा - हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी
संगठन की स्थापना: दुर्गा वाहिनी
साध्वी निशा ऋतंभरा एक हिंदुत्व नेता, हिंदू राष्ट्रवादी विचारक और दुर्गा वाहिनी की संस्थापक-अध्यक्ष हैं।

हिन्दू धर्म की प्रचारक साध्वी ऋतंभरा बहुत कम उम्र में घर छोड़ कर सन्यासी बन गयीं। उन्होंने निराश्रित महिलाओं और बच्चों के लिए एक अनूठा प्रयोग किया और वात्सल्य ग्राम की स्थापना की, जहाँ पारिवारिक मान्यताओं के आधार पर महिलाओं और बच्चों को घर दिया जाता है। नेत्र चिकित्सालय, विशेष बच्चों के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण केंद्र, महिलाओं के लिए नि:शुल्क व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र, नि:शुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र, कामधेनु गौगृह गौशाला आदि अनेक प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती हैं और इनकी अधिकांश संस्थाएं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में हैं।

साध्वी ऋतंभरा ने अपने जीवन के कई वर्ष हरिद्वार के आश्रम में बिताए थे, बाद में उन्होंने पूरे भारत में धर्म का प्रचार-प्रसार किया। पूरे भारत में हिंदू धर्म का प्रचार करने के बाद ही उन्हें साध्वी की उपाधि दी गई थी।
Sadhvi Ritambhara - Read in English
Sadhvi Nisha Ritambhara is a Hindutva leader, Hindu nationalist ideologue and the founder-president of Durga Vahini.
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आनंदमयी माँ

आनंदमयी माँ एक हिंदू संत थीं, जो 1896 से 1982 तक भारत में रहीं। वह अपने आनंदमय नृत्य और गायन और बीमारों को ठीक करने की क्षमता के लिए जानी जाती थीं। वह अद्वैत वेदांत की शिक्षिका भी थीं, एक हिंदू दर्शन जो सभी प्राणियों की एकता पर जोर देता है।

शुकदेवजी

शुकदेवजी, जिन्हें शुकदेव या शुक मुनि के नाम से भी जाना जाता है, एक महान ऋषि थे और कई हिंदू धर्मग्रंथों, विशेष रूप से भागवत पुराण में एक केंद्रीय व्यक्ति थे।

निश्चलानंद सरस्वती

स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती भारत के ओडिशा के पुरी में पूर्वमनय श्री गोवर्धन पीठम के वर्तमान 145 वें जगद्गुरु शंकराचार्य हैं।

बाबा रामदेव

बाबा रामदेव एक प्रसिद्ध भारतीय योग शिक्षक हैं। उन्होंने योगासन और प्राणायाम योग के क्षेत्र में काफी योगदान दिया है। स्वामी रामदेव अब तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश-विदेश में करोड़ों लोगों को योग की शिक्षा दे चुके हैं। रामदेव खुद जगह-जगह योग शिविर लगाते हैं, जिनमें लगभग हर समुदाय के लोग आते हैं। स्वामी रामदेव टेलीविजन और अपने सामूहिक योग शिविरों के माध्यम से भारतीयों के बीच योग को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं।

चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती

कांची कामकोटि पीठम के 68वें शंकराचार्य, परम पूज्य महास्वामीजी, श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य स्वामीजी, चलते-फिरते भगवान के रूप में प्रतिष्ठित हैं।