भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था अतः उनकी शस्त्रशक्ति भी अक्षय है। भगवान शिव के दिव्य धनुष की प्रत्यंचा पर केवल परशुराम ही बाण चढ़ा सकते थे, यह उनकी अक्षय शक्ति का ही परिचय है। इन्हें विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है।
भगवान परशुराम को नियोग भूमिहार ब्राह्मण, चितपावन ब्राह्मण, त्यागी, मोहयाल, अनाविल और नंबूदिरी ब्राह्मण समुदाय मूल पुरुष या स्थापक के रूप में पूजते हैं।
भगवान परशुराम के गायत्री मंत्र इस प्रकार हैं:
❀ ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात् ॥
❀ ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात् ॥
❀ ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम: ॥
आमतौर पर अक्षय तृतीया एवं परशुराम जयंती एक ही दिन होती है, परन्तु तृतीया तिथि के प्रारंभ होने के आधार पर परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया से एक दिन पूर्व भी हो सकती है।
भगवान परशुराम के प्रसिद्ध मंदिर:
* भगवान परशुराम मंदिर, त्र्यम्बकेश्वर, नासिक, महाराष्ट्र
* परशुराम मंदिर, अट्टिराला, जिला कुड्डापह ,आंध्रा प्रदेश
* परशुराम मंदिर, सोहनाग, सलेमपुर, उत्तर प्रदेश
* अखनूर, जम्मू और कश्मीर
* कुंभलगढ़, राजस्थान
* महुगढ़, महाराष्ट्र
* परशुराम मंदिर, पीतमबरा, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश.
* जनपव हिल, इंदौर मध्य प्रदेश
* परशुराम कुंड लोहित जिला, अरुणाचल प्रदेश - एसी मान्यता है, कि इस कुंड में अपनी माता का वध करने के बाद परशुराम ने यहाँ स्नान कर अपने पाप का प्रायश्चित किया था.
संबंधित अन्य नाम | परशुराम जन्मोत्सव |
शुरुआत तिथि | वैशाख शुक्ला तृतीया |
उत्सव विधि | विष्णु सहस्रनाम पाठ, भजन-कीर्तन |
भगवान परशुराम जन्मोत्सव हार्दिक शुभकामनाएँ
Updated: Apr 28, 2025 13:39 PM