🙏 पिठोरी अमावस्या - Pithori Amavasya

Pithori Amavasya Date: Monday, 2 September 2024

हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में पड़ने वाली अमावस्या को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। प्रत्येक माह में अमावस्या तिथि पड़ती है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है और विशेष महत्व भी होता है। पिठोरी अमावस्या पर पितृ तर्पण आदि धार्मिक कार्यों में कुश का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसे कुश अमावस्या भी कहा जाता है। इस अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन महिलाएं मां दुर्गा की उपासना करती हैं और अपने पुत्रों की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं।

पिठोरी अमावस्या व्रत 2022 की पूजा विधि?
❀ पिठोरी अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
❀ नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।
❀ भगवान विष्णु और महादेव की विधि-विधान से पूजन अर्चन के साथ दान पुण्य करें।

पिठोरी अमावस्या का महत्व
❀ पिठोरी अमावस्या का व्रत करने से निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है।
❀ जो माताएं इस व्रत को करती हैं उन्हें संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
❀ महिलाएं इस दिन मां दुर्गा सहित 64 देवियों की आटे से मूर्तियां बनाते हैं और पूजा-अर्चना करती हैं।

मान्यता है कि पिठोरी अमावस्या का व्रत और पूजन केवल सुहागिन महिलाएं ही कर सकती हैं।

संबंधित अन्य नामकुश अमावस्या, पिठोरी अमावस्या
शुरुआत तिथिभाद्रपद अमावस्या
उत्सव विधिव्रत, पूजा, व्रत, पितरों का तर्पण, मां दुर्गा उपासना, भगवान विष्णु और महादेव की पूजन
Read in English - Pithori Amavasya
According to the Hindu calendar, the Amavasya that falls in the month of Bhadrapada is called Pithori Amavasya.

पोला महोत्सव

26 August 2022
पिथौरी अमावस्या के दिन महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में पोला महोत्सव किसानों द्वारा मनाया जाने वाला एक त्योहार है, जो बैलों के महत्व के लिए मनाया जाता है, जो कृषि और कृषि गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसी तरह का त्योहार दक्षिण में मट्टू पोंगल और उत्तर और पश्चिम भारत में गोधन के रूप में मनाया जाता है। तेलंगाना में, ऐसा ही त्योहार पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जिसे इरुवाका पूर्णिमा कहा जाता है।

पोला महोत्सव की विधि
त्योहार की तैयारी में, बैलों को साफ किया जाता है और शॉल, घंटियों और फूलों से सजाया जाता है, उनके सींगों को रंगा जाता है, और उन्हें नई लगाम और रस्सियाँ से सजाया जाता है और जुलूस में जाते हैं। जब जुलूस से वापस आते हैं, तो उनका परिवार के सदस्यों द्वारा औपचारिक रूप से पूजा और आरती के साथ मिट्टी का दीपक जला कर स्वागत किया जाता है।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
22 August 202510 September 202631 August 202719 August 2028
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
भाद्रपद अमावस्या
महीना
जुलाई / अगस्त
उत्सव विधि
व्रत, पूजा, व्रत, पितरों का तर्पण, मां दुर्गा उपासना, भगवान विष्णु और महादेव की पूजन
पिछले त्यौहार
14 September 2023, 26 August 2022

Updated: Aug 27, 2022 07:03 AM

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