Shri Ram Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

जीवन एक प्रतिध्वनि है - प्रेरक कहानी (Jeewan Ek Prati Dhwani Hai)


Add To Favorites Change Font Size
एक सब्जी वाला था, सब्जी की पूरी दुकान साइकिल पर लगाकर घूमता रहता था ।प्रभु, उसका तकिया कलाम था । कोई पूछता आलू कैसे दिये, 10 रुपये प्रभु। हरी धनियाँ है क्या? बिलकुल ताजा हैं प्रभु। वह सबको प्रभु कहता था। लोग भी उसको प्रभु कहकर पुकारने लगे।
एक दिन उससे किसी ने पूछा कि तुम सबको प्रभु-प्रभु क्यों कहते हो, यहाँ तक तुझे भी लोग इसी उपाधि से बुलाते हैं और तुम्हारा कोई असली नाम है भी या नहीं ?

सब्जी वाले ने कहा: है न प्रभु, मेरा नाम भैयालाल है।

प्रभु, मैं शुरू से अनपढ़ गँवार हूँ। गॉव में मजदूरी करता था, एक बार गाँव में एक नामी सन्त की कथा हुईं कथा मेरे पल्ले नहीं पड़ी, लेकिन एक लाइन मेरे दिमाग में आकर फँस गई,
उन संत ने कहा: हर इन्सान में प्रभु का वास हैं, तलाशने की कोशिश तो करो पता नहीं किस इन्सान में मिल जाय और तुम्हारा उद्धार कर जाये, बस उस दिन से मैने हर मिलने वाले को प्रभु की नजर से देखना और पुकारना शुरू कर दिया वाकई चमत्कार होगया दुनिया के लिए शैतान आदमी भी मेरे लिये प्रभु रूप हो गया। ऐसे दिन फिरे कि मजदूर से व्यापारी हो गया सुख-समृद्धि के सारे साधन जुड़ते गये, मेरे लिये तो सारी दुनिया ही प्रभु रूप बन गईं।

लाख टके की बात! जीवन एक प्रतिध्वनि है आप जिस लहजे में आवाज देंगे पलटकर आपको उसी लहजे में सुनाईं देगी। न जाने किस रूप में मालिक मिल जाये अतः हर समय अच्छे से ही व्यवहार करना चाहिए।
यह भी जानें

Prerak-kahani Sabji Wala Prerak-kahaniLady Prerak-kahaniHawker Prerak-kahaniPrabhu Ji Prerak-kahaniVyapari Prerak-kahaniMajdoor Prerak-kahaniKatha Ka Asar Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

Latest Prerak-kahani ›

तुलसीदास जी रचित श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता - सत्य कथा

श्री रामचरितमानस के प्रथम श्रोता संत: मनुष्यों में सबसे प्रथम यह ग्रन्थ सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ मिथिला के परम संत श्रीरूपारुण स्वामीजी महाराज को।

तुलसीदास जी द्वारा भगवान् श्रीराम, लक्ष्मण दर्शन - सत्य कथा

चित्रकूटके घाट पर, भइ संतन की भीर । तुलसिदास चंदन घिसें, तिलक देन रघुबीर ॥..

आठवी पीढ़ी की चिन्ता - प्रेरक कहानी

आटा आधा किलो | सात पीढ़ी की चिंता सब करते हैं.. आठवी पीढ़ी की कौन करता है - एक दिन एक सेठ जी को अपनी सम्पत्ति के मूल्य निर्धारण की इच्छा हुई। लेखाधिकारी को तुरन्त बुलवाया गया।

श्रमरहित पराश्रित जीवन विकास के द्वार बंद करता है!

महर्षि वेदव्यास ने एक कीड़े को तेजी से भागते हुए देखा। उन्होंने उससे पूछा: हे क्षुद्र जंतु, तुम इतनी तेजी से कहाँ जा रहे हो?

तुलसीदास जी द्वारा ब्राह्मण को जीवन दान - सत्य कथा

ब्राह्मण की मृत्यु हो गयी, उसकी पत्नी उसके साथ सती होने के लिए जा रही थी। गोस्वामी श्री तुलसीदास जी अपनी कुटी के द्वार पर बैठे हुए भजन कर रहे थे।

कर्ण की युद्ध में धर्म-नीति निष्ठा - प्रेरक कहानी

वह बाण बनकर कर्ण के तरकस में जा घुसा, ताकि जब उसे धनुष पर रखकर अर्जुन तक पहुँचाया जाए, तो अर्जुन को काटकर प्राण हर ले।

अर्जुन व कर्ण पर विचारों का सम्मोहन - प्रेरक कहानी

इसकी विपरीत कारण अर्जुन से कहीं अधिक वीर और साहसी होने पर भी दुविधा में पड़ा रहा। उसकी मान कुंती ने युद्ध से पूर्व यह वचन ले लिया की वह युद्धभूमि में अर्जुन के सिवाय और किसी भाई को नहीं मारेगा।...

Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP