Shri Ram Bhajan

सर्व भयानक रोग नाशक मंत्र (Sarv Bhayanak Rog Nashak Mantra)


सर्व भयानक रोग नाशक मंत्र
यह मंत्र जैन समाज के प्रसिद्ध भक्तामर स्तोत्र का 45वाँ मंत्र है जिसके श्रवण एवं जाप से भयंकर जलोदर रोगों का नाश होता है। अतः इस मंत्र को रोग-उन्मूलन मंत्र भी कहा जाता है।
उद्भूत-भीषण-जलोदर-भार-भुग्नाः,
शोच्यां दशा-मुपगताश्-च्युत-जीविताशाः ।
त्वत्पाद-पंकज-रजो-मृत-दिग्ध-देहाः,
मर्त्या भवन्ति मकर-ध्वज-तुल्य-रूपाः ॥

हिन्दी भावार्थ:
उत्पन्न हुए भीषण जलोदर रोग के भार से झुके हुए, शोभनीय अवस्था को प्राप्त और नहीं रही है जीवन की आशा जिनके, ऐसे मनुष्य आपके चरण कमलों की रज रुप अम्रत से लिप्त शरीर होते हुए कामदेव के समान रुप वाले हो जाते हैं।

मंत्र: रोग-व्याधि सभी दूर करने हेतु | रोग-उन्मूलन मंत्र

Sarv Bhayanak Rog Nashak Mantra in English

This Mantra is the 45th Mantra of the famous Bhaktamar Stotra of the Jain Sampraday | Sarv Bhayanak Rog Nashak Mantra | disease-eradication(Rog Unmoolan) mantra.
यह भी जानें

Mantra Rog Nashak MantraSarv Rog Nashak MantraJain MantraJainism MantraDaslakshan Parva MantraParyushana MantraJain Samaj MantraBhaktamar Stotra Mantra

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

मंत्र ›

श्री चण्डी-ध्वज स्तोत्रम्

धन राज्य सुख देने वाला माँ चण्डिका का स्तोत्र। ॐ श्रीं नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै भूत्त्यै नमो नमः । परमानन्दरुपिण्यै नित्यायै सततं नमः॥१॥

महामाय़ा अष्टकम्

भद्रकाळी बिश्बमाता जगत्स्रोत कारिणी, शिबपत्नी पापहर्त्री सर्वभूत तारिणी, स्कन्दमाता शिवा शिवा सर्वसृष्टि धारिणी, नमः नमः महामाय़ा ! हिमाळय-नन्दिनी ॥ १

दुर्गा सप्तशती सिद्ध सम्पुट मंत्र

दुर्गा सप्तशती के 30 सिद्ध सम्पुट मंत्र, विपत्ति-नाश, भय-नाश, रोग-नाश, महामारी-नाश, लक्षणा पत्‍‌नी, पापनाश के लिये..

श्री दुर्गा देवी स्तोत्रम्

श्री युधिष्ठिर विरचितं | श्रीगणेशाय नमः । श्री दुर्गायै नमः । नगरांत प्रवेशले पंडुनंदन । तो देखिले दुर्गास्थान । धर्मराज करी स्तवन । जगदंबेचे तेधवा ॥

श्री दुर्गा मानस पूजा

उद्यच्चन्दनकुङ्कुमारुणपयोधाराभिराप्लावितां, नानानर्घ्यमणिप्रवालघटितां दत्तां गृहाणाम्बिके।, आमृष्टां सुरसुन्दरीभिरभितो हस्ताम्बुजैर्भक्तितो, मातः सुन्दरि भक्तकल्पलतिके श्रीपादुकामादरात्॥1॥

देवी अथर्वशीर्षम्

ॐ सर्वे वै देवा देवीमुपतस्थुः कासि त्वं महादेवीति॥1॥ साब्रवीत् - अहं ब्रह्मस्वरूपिणी। मत्तः प्रकृतिपुरुषात्मकं जगत्। शून्यं चाशून्यं च॥2॥

विष्णु सहस्रनाम: M.S.Subbulakshmi

भगवान श्री विष्णु के 1000 नाम! विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने वाले व्यक्ति को यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता...

Durga Chalisa - Durga Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP