श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - अध्याय एक समाप्ति (Shrimad Bhagwat Geeta: Arjun Visada Yog - First Chapter End)


ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे
श्रीकृष्णार्जुनसंवादेऽर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोऽध्यायः ॥धृतराष्ट्र उवाच:
कुल: 1
श्लोक संख्या: 1

संजय उवाच:
कुल: 23
श्लोक संख्या: 2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13-14-15-16-17-18-19-24-25-26-27-47

अर्जुन उवाच:
कुल: 23
श्लोक संख्या: 20-21-22-23-28-29-30-31-32-33-34-35-36-37-38-39-40-41-42-43-44-45-46
Granth Bhagwat Geeta Granth
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विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..