Updated: Jul 24, 2025 15:22 PM |
बारें में | संबंधित जानकारियाँ | यह भी जानें
Chitalagi Amavasya Date: Wednesday, 12 August 2026
चितालागी अमावस्या जिसे चितौ अमावस्या भी कहा जाता है भारत के ओडिशा में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है, जो मुख्य रूप से भगवन जगन्नाथ संस्कृति के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। यह आमतौर पर हिंदू माह श्रावण (जुलाई-अगस्त) की अमावस्या को मनाया जाता है। चिता जिसे माथे का आभूषण भी कहा जाता है चितालागी अमावस्या के दिन भगवान जगन्नाथ के माथे पर रखे जाने वाले स्वर्ण आभूषण `चिता` की वापसी होती है।
पुरी जगन्नाथ मंदिर में मनाया जाने वाला अनुष्ठान:
❀ मुख्य अनुष्ठान में भगवान जगन्नाथ के माथे पर रखे जाने वाले स्वर्ण आभूषण `चिता` को पुनर्स्थापित करना शामिल है, जिसे स्नान यात्रा के दौरान हटा दिया जाता है।
❀ चितालागी अमावस्या पर, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में देवताओं के माथे पर चिता को औपचारिक रूप से पुनः स्थापित किया जाता है।
संबंधित अन्य नाम | चितौ अमावस्या |
शुरुआत तिथि | श्रावण अमावस्या |
कारण | भगवान जगन्नाथ |
उत्सव विधि | मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा |
Chitalagi Amavasya also known as Chitau Amavasya is a traditional festival celebrated in Odisha, India, mainly by the followers of Bhagwan Jagannath cult.
चितालागी अमावस्या भोग | चितौ पीठा अर्पण
❀ भक्त चावल के आटे, नारियल और गुड़ से बने पारंपरिक चावल के पैनकेक, चितौ पीठा तैयार करते हैं और चढ़ाते हैं।
❀ इसे घर और मंदिरों में देवताओं को अर्पित किया जाता है और प्रसाद के रूप में भी ग्रहण किया जाता है।
मछुआरा समुदाय का उत्सव
तटीय क्षेत्रों में, विशेष रूप से मछुआरा समुदायों के बीच, चितालागी अमावस्या सुरक्षित यात्रा और अच्छी मछली पकड़ने के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु विशेष अनुष्ठानों का उत्सव है। कुछ स्थानीय समुदाय इस दिन अपने मछली पकड़ने के जाल और नावों की भी पूजा करते हैं।
चितालागी अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
अमावस्या के दिन होने के कारण, चितालागी अमावस्या के दिन पूर्वजों के लिए पितृ पूजा के लिए शुभ माना जाता है क्योंकि यह अमावस्या के दिन पड़ता है। कई लोग दिवंगत आत्माओं के सम्मान में श्राद्ध या तर्पण (पितृ तर्पण) करते हैं।
संबंधित जानकारियाँ
भविष्य के त्यौहार
2 August 202722 July 202810 August 202930 July 2030
शुरुआत तिथि
श्रावण अमावस्या
उत्सव विधि
मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा
पिछले त्यौहार
24 July 2025
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