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💧गंगा दशहरा - Ganga Dussehra

Ganga Dussehra Date: Sunday, 16 June 2024
गंगा दशहरा

सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के कमंडल से राजा भागीरथ द्वारा देवी गंगा के धरती पर अवतरण दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी पर अवतार से पहले गंगा नदी स्वर्ग का हिस्सा हुआ करती थीं। गंगा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है, इस कारण उन्हें सम्मान से माँ गंगा अथवा गंगा मैया पुकारते हुए माता के समान पूजा जाता है।

गंगा दशहरा के दिन भक्त, देवी गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का धन्यवाद करने हेतु, उनकी विशेष पूजा करते हैं। तथा गंगा जी में डुबकी लगा कर स्वयं को पवित्र करते हुए दान-पुण्य, उपवास, भजन एवं गंगा आरती का आयोजन करते हैं।

गंगा दशहरा पर हजारों भक्त प्रयगराज / इलाहाबाद, गढ़मुकेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी, पटना और गंगासागर में पवित्र डुबकी लगाते हैं। गंगा दशहरा के दिन दशाश्वमेध घाट वाराणसी और हर की पौरी हरिद्वार की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है। यमुना नदी के पास बसे पौराणिक शहर जैसे मथुरा, वृंदावन और बेटेश्वर में भी भक्त आज के दिन यमुनाजी को गंगा मैया मानकर स्नान करते हैं।

गंगा दशहरा के उपलक्ष मे भक्तों द्वारा लस्सी, शरबत, ठंडाई, ठंडा पानी एवं शिकंजी जैसे पेय पदार्थ तथा जेलबी, मालपुआ, खीर और फल तरबूज जैसी मिठाइयाँ भी वितरित की जाती हैं। कुछ स्थानों पर गंगा दशहरा के दिन पतंग उड़ाकर उत्सव मनाया जाता है। गंगा दशहरा एकादशियों में प्रसिद्ध निर्जाला एकादशी से एक दिन पहले मनाया जाता है।

संबंधित अन्य नामगंगावतरन
शुरुआत तिथिज्येष्ठ कृष्णा दशमी
कारणमाँ गंगा का पृथ्वी पर अवतरण।
उत्सव विधिगंगा स्नान, व्रत, भजन-कीर्तन, दान-पुण्य, गंगा आरती, पतंग उड़ाना, मेला; लस्सी, शरबत, ठंडा पानी एवं शिकंजी का वितरण।

Ganga Dussehra in English

The incarnation day of Mata Ganga on earth by King Bhagiratha from the kamandal of Brahma Ji, the creator of the universe, is known as Ganga Dussehra.

गंगा दशहरा कब है - Ganga Dussehra Kab Hai?

गंगा दशहरा 2023 : मंगलवार, 30 मई 2023
चर - सामान्य | 8:51 AM - 10:35 AM
लाभ - उन्नति | 10:35 AM - 12:19 PM
अमृत - सर्वोत्तम | 12:19 PM - 2:02 PM

दशमी तिथि : 29 मई 2023 11:49 AM - 30 मई 2023 1:07 PM

द्वारपत्र

वैसे तो गंगा दशहरा सारे देश मे ही मनाया जाता है, परंतु उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में यह पर्व सिर्फ दशहरा नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में दशहरे का अर्थ ब्राह्मण अथवा पुरोहितों द्वारा निर्मित वह द्वारपत्र है जो कि वज्रनिवारक मंत्रों के साथ दरवाजों के उपर सजाया जाता है।

पुरोहित एक वर्गाकार सफेद कागज पर विभिन्न रंगों के शिव, गणेश, माँ दुर्गा, माँ सरस्वती, गंगा मैया आदि के रंगीन चित्र बना कर उसके चारों ओर एक वृतीय या बहुवृत्तीय कमलदलों को अंकित किया जाता है। इसके सबसे बाहरी हिस्से में वज्रनिवारक हेतु पांच ऋषियों के नाम के साथ निम्नलिखित श्लोक लिखे जाते हैं

अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च ।
जैमिनिश्च सुमन्तुश्च पञ्चैते वज्र वारकाः ॥1॥

मुने कल्याण मित्रस्य जैमिनेश्चानु कीर्तनात ।
विद्युदग्निभयंनास्ति लिखिते च गृहोदरे ॥2॥

यत्रानुपायी भगवान् हृदयास्ते हरिरीश्वरः ।
भंगो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा ॥3॥

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
5 June 202525 May 202613 June 20272 June 2028
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
ज्येष्ठ कृष्णा दशमी
समाप्ति तिथि
ज्येष्ठ कृष्णा दशमी
महीना
मई / जून
कारण
माँ गंगा का पृथ्वी पर अवतरण।
उत्सव विधि
गंगा स्नान, व्रत, भजन-कीर्तन, दान-पुण्य, गंगा आरती, पतंग उड़ाना, मेला; लस्सी, शरबत, ठंडा पानी एवं शिकंजी का वितरण।
महत्वपूर्ण जगह
प्रयगराज, गंगा सागर, गढ़मुक्तेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी एवं पटना; उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार एवं पश्चिम बंगाल।
पिछले त्यौहार
30 May 2023, 9 June 2022, 20 June 2021
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