Download Bhakti Bharat APP
Damodar Astakam - Damodar AstakamDownload APP Now - Download APP NowHanuman Chalisa - Hanuman ChalisaFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

गंगा स्तुति - विनय पत्रिका (Ganga Stuti - Vinay Patrika)


गंगा स्तुति - विनय पत्रिका
Add To Favorites Change Font Size
राग रामकली
जय जय भगीरथनन्दिनि, मुनि-चय चकोर-चन्दिनि,
नर-नाग-बिबुध-बन्दिनि जय जह्नु बालिका ।
बिस्नु-बिस्नुपद-सरोजजासि, ईस-सीसपर बिभासि,
त्रिपथगासि, पुन्यरासि, पाप-छालिका ॥ १ ॥
बिमल बिपुल बहसि बारि, सीतल त्रयताप-हारि,
भँवर बर बिभंगतर तरंग-मालिका ।
पुरजन पूजोपहार, सोभित ससि धवलधार,
भंजन भव-भार, भक्ति-कल्पथालिका ॥ २ ॥

निज तटबासी बिहंग, जल-थल-चर पसु-पसुपतंग,
कीट,जटिल तापस सब सरिस पालिका ।
तुलसी तव तीर तीर सुमिरत रघुबंस-बीर,
बिचरत मति देहि मोह-महिष-कालिका ॥ ३ ॥
यह भी जानें
हिन्दी भावार्थ

हे भगीरथ नंदिनी, तुम्हारी जय हो, जय हो। तुम मुनियों के समूह रूपी चकोरों के लिए चंद्रिका रूप हो। मनुष्य, नाग और देवता तुम्हारी वंदना करते हैं। हे जन्हू की पुत्री, तुम्हारी जय हो।
तुम भगवान विष्णु के चरण कमल से उत्पन्न हुई हो, शिवजी के मस्तक पर शोभा पाती हो। स्वर्ग, भूमि और पाताल इन तीनों मार्गों से तीन धाराओं में होकर बहती ही। पुण्यों की राशि और पापों को धोने वाली हो।

तुम अगाध निर्मल जल धारण किए हो, वह जल शीतल है और तीनों तापों को हरने वाला है। तुम सुंदर भँवर और अति चंचल तरंगों की माला धारण किए हो।
नगर वासियों ने पूजा के समय उपहार चढ़ाये उनसे चंद्रमा के समान तुम्हारी धवल धारा शोभित हो रही है। यह धारा संसार के जन्म मरण रूप भार का नाश करने वाली तथा भक्ति रूपी कल्पवृक्ष की रक्षा के लिए थाल्हा रूप है।

तुम अपने तीर पर रहने वाले पक्षी, जलचर, पशु, पतंग, कीट और जटाधारी तपस्वी आदि सबका समान भाव से पालन करती हो।
हे मोह रूपी महिषासुर को मारने के लिए कालिका रूप गंगाजी, मुझ तुलसीदास को ऐसी बुद्धि दो जिससे वह श्री रघुनाथ जी का स्मरण करते हुए तुम्हारे तीर पर विचरा करे।

Granth Shri Ganga Stuti GranthVinaypatrika GranthVinay Pad GranthRam Vinayavali GranthTulsidas Ji Rachit Granth

अन्य प्रसिद्ध गंगा स्तुति - विनय पत्रिका वीडियो

Anil Bisht

Sushmita Mazumdar

अगर आपको यह ग्रंथ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ग्रंथ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
×
Bhakti Bharat APP