वरलक्ष्मी व्रत देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता का पर्व है। वरलक्ष्मी देवी वह है जो वर (वरदान) देती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह व्रत देवी पार्वती द्वारा समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए किया गया था।
वरलक्ष्मी व्रत, श्रावण माह के अंतिम शुक्रवार के दिन रखा जाता है, सरल भाषा में समझे तो श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षा बंधन से पहिले आने वाले शुक्रवार को वरलक्ष्मी की पूजा एवं व्रत किया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत करने से अष्ट लक्ष्मी की पूजा के समान पुण्य प्राप्त होता है। वरलक्ष्मी व्रत करने से दरिद्रता समाप्त होती है एवं परिवार में सुख-संपत्ति की वृद्धि होती है।
वरलक्ष्मी व्रत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत अधिक लोकप्रिय है। इस दिन ज्यादातर विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के सदस्यों के कल्याण, धन, संपत्ति और वैभव के लिए यह व्रत करती हैं।
आरती: श्री गणेश जी | वरलक्ष्मी व्रत कथा | आरती: ॐ जय लक्ष्मी माता | वरलक्ष्मी पूजा, व्रत और विधि
संबंधित अन्य नाम | वरलक्ष्मी व्रत |
उत्सव विधि | व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन, महालक्ष्मी मंदिर में पूजा। |
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