Shri Krishna Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - श्लोक 2 (Shrimad Bhagwat Geeta: Arjun Visada Yog: Shlok 2)


Add To Favorites Change Font Size
संजय उवाच:
दृष्टवा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा ।
आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत्‌ ॥
भावार्थ : संजय बोले- उस समय राजा दुर्योधन ने व्यूहरचनायुक्त पाण्डवों की सेना को देखा और द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन कहा॥2॥
यह भी जानें
    अगर आपको यह ग्रंथ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

    Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
    इस ग्रंथ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
    * कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

    ** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

    ग्रंथ ›

    विनय पत्रिका

    गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

    श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

    बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

    श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

    कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..

    Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
    Ram Bhajan - Ram Bhajan
    Bhakti Bharat APP