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श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - श्लोक 46 (Shrimad Bhagwat Geeta: Arjun Visada Yog: Shlok 46)


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यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः ।
धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत्‌ ॥
भावार्थ: यदि मुझ शस्त्ररहित एवं सामना न करने वाले को शस्त्र हाथ में लिए हुए धृतराष्ट्र के पुत्र रण में मार डालें तो वह मारना भी मेरे लिए अधिक कल्याणकारक होगा।
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Granth Bhagwat Geeta Granth

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