Shri Ram Bhajan
गूगल पर भक्ति भारत को अपना प्रीफ़र्ड सोर्स बनाएँ

माँ धूमावती उत्पत्ति कथा (Dhumavati Utpatti Katha)


Add To Favorites Change Font Size
माँ धूमावती दस महाविद्या में से सातवीं देवी हैं। माता का यह रूप पुराने एवं मलिन वस्त्र धारण किये एक वृद्ध विधवा का है, उनके केश पूर्णतः अव्यवस्थित हैं।सभी महाविद्याओं के ही समान यह कोई आभूषण धारण नहीं करती हैं। देवी का यह रूप अशुभ एवं अनाकर्षक है। माँ धूमावती सदा ही भूखी-प्यासी तथा कलह उत्पन्न करने वाली सी प्रतीत होती हैं।
देवी धूमावती के स्वरूप एवं स्वाभाव की तुलना देवी अलक्ष्मी, देवी ज्येष्ठा एवं देवी निऋति से की जाती है। ये तीनों देवियाँ नकारात्मक गुणों की सूचक हैं, किन्तु वर्ष पर्यन्त विभिन्न विशेष अवसरों पर इनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

देवी धूमावती की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार एक बार माँ पार्वती को बहुत तेज भूख लगी हुई थी। किंतु कैलाश पर उस समय कुछ न रहने के कारण वे अपनी क्षुधा शांत करने के लिए भगवान शंकर के पास जाती हैं और उनसे भोजन की मांग करती हैं। किंतु उस समय शंकरजी अपनी समाधि में लीन होते हैं। माँ पार्वती के बार-बार निवेदन के बाद भी शंकरजी ध्यान से नहीं उठते और वे ध्यानमुद्रा में ही मग्न रहते हैं।

माँ पार्वती की भूख और तेज हो उठती है और वे भूख से इतनी व्याकुल हो जाती हैं कि खाने मे कुछ भी नहीं मिलाने की स्थिति मे श्वास खींचकर शिवजी को ही निगल जाती हैं। भगवान शिव के कंठ में विष होने के कारण माँ के शरीर से धुआं निकलने लगता है, उनका स्वरूप श्रृंगारविहीन तथा विकृत हो जाता है तथा माँ पार्वती की भूख शांत होती है।

तत्पश्चात भगवान शिव माया के द्वारा माँ पार्वती के शरीर से बाहर आते हैं और पार्वती के धूम से व्याप्त स्वरूप को देखकर कहते हैं कि अबसे आप इस वेश में भी पूजी जाएंगी। इसी कारण माँ पार्वती का नाम 'देवी धूमावती' पड़ा। 

माँ धूमावती की मुद्रा
माँ के इस स्वरुप की दो भुजाएं हैं जिसमे क्रमशः कम्पित हाथों में एक सूप तथा दूसरे हाथ वरदान मुद्रा मे हैं। अथवा ज्ञान प्रदायनी मुद्रा में होता है। माँ एक बिना अश्व के रथ पर सवार हैं, जिसके शीर्ष पर ध्वज एवं प्रतीक के रूप में कौआ विराजमान रहता है। समस्त रोगों एवं घनघोर दरिद्रता से मुक्ति प्राप्त करने हेतु देवी धूमावती की पूजा की जाती है।
यह भी जानें

Katha Mata KathaMaa KathaMaa Dhumavati KathaGupt Navratri KathaDhumavati KathaDhumavati Jayanti Katha

अगर आपको यह कथाएँ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस कथाएँ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

कथाएँ ›

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा

संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा

भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्‌मणों...

मंगलवार व्रत कथा

सर्वसुख, राजसम्मान तथा पुत्र-प्राप्ति के लिए मंगलवार व्रत रखना शुभ माना जाता है। पढ़े हनुमान जी से जुड़ी मंगलवार व्रत कथा...

सफला एकादशी व्रत कथा

भगवान श्रीकृष्ण बोले: पौष माह के कृष्ण पक्ष मे आने वाली इस एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के देवता श्रीनारायण हैं..

सोमवार व्रत कथा

किसी नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था। नगर के सभी लोग उस व्यापारी का सम्मान करते थे..

गजेंद्र और ग्राह मुक्ति कथा

संत अनंतकृष्ण बाबा जी के पास एक लड़का सत्संग सुनने के लिए आया करता था। संत से प्रभावित होकर बालक द्वारा दीक्षा के लिए प्रार्थना करने..

श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा 2

बोलो बृहस्पतिदेव की जय। भगवान विष्णु की जय॥ बोलो बृहस्पति देव की जय॥

Durga Chalisa - Durga Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Bhakti Bharat APP