Shri Ram Bhajan

कथाएँ

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 26

नारद जी बोले- इस प्रकार विष्णु पार्षदों के वचन सुनकर धर्मदत्त ने कहा- प्राय: सभी मनुष्य भक्तों का कष्ट दूर करने वाले श्रीविष्णु की यज्ञ, दान, व्रत, तीर्थसेवन तथा तपस्याओं के द्वारा विधिपूर्वक आराधना करते हैं।

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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 25

अब तक जो कार्तिक का व्रत किया है उसके पुण्य का आधा भाग मैं तुझे देता हूँ, तू उसी से सदगति को प्राप्त हो जा।

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देवोत्थान / प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा 2

एक राजा था, उसके राज्य में प्रजा सुखी थी। एकादशी को कोई भी अन्न नहीं बेचता था। सभी फलाहार करते थे। एक बार भगवान ने राजा की परीक्षा लेनी चाही।

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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 24

राजा पृथु बोले- हे मुनिश्रेष्ठ! आपने तुलसी के इतिहास, व्रत, माहात्म्य के विषय में कहा। अब आप कृपाकर मुझे यह बताइए कि कार्तिक मास में क्या और भी देवताओं का पूजन होता है?

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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 18

अब रौद्र रूप महाप्रभु शंकर नन्दी पर चढ़कर युद्धभूमि में आये। उनको आया देख कर उनके पराजित गण फिर लौट आये और सिंहनाद करते हुए आयुद्धों से दैत्यों पर प्रहार करने लगे।..

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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 23

नारद जी बोले - हे राजन! यही कारण है कि कार्तिक मास के व्रत उद्यापन में तुलसी की जड़ में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। नर्मदा का दर्शन, गंगा का स्नान और तुलसी वन का संसर्ग

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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22

राजा पृथु ने नारद जी से पूछा - हे देवर्षि! कृपया आप अब मुझे यह बताइए कि वृन्दा को मोहित करके विष्णु जी ने क्या किया और फिर वह कहाँ गये?

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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 21

अब ब्रह्मा आदि देवता नतमस्तक होकर भगवान शिव की स्तुति करने लगे। वे बोले - हे देवाधिदेव! आप प्रकृति से परे पारब्रह्म और परमेश्वर हैं..

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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 20

अब राजा पृथु ने पूछा - हे देवर्षि नारद! इसके बाद युद्ध में क्या हुआ तथा वह दैत्य जलन्धर किस प्रकार मारा गया, कृपया मुझे वह कथा सुनाइए।

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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 19

राजा पृथु ने पूछा - हे नारद जी! अब आप यह कहिए कि भगवान विष्णु ने वहाँ जाकर क्या किया तथा जलन्धर की पत्नी का पतिव्रत किस प्रकार भ्रष्ट हुआ?

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कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 16

राजा पृथु ने कहा: हे नारद जी! ये तो आपने भगवान शिव की बडी़ विचित्र कथा सुनाई है। अब कृपा करके आप यह बताइये कि उस समय राहु उस पुरूष से छूटकर कहां गया?

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भैया दूज पौराणिक कथा

...किंतु यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं। यमुना अपने भाई यमराज के यहां प्राय: जाती और उनके सुख-दुख की बातें पूछा करती। तथा यमुना, यमराज को अपने घर पर आने के लिए भी आमंत्रित करतीं, किंतु व्यस्तता तथा अत्यधिक दायित्व के कारण वे उसके घर न जा पाते थे।

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चित्रगुप्त की कथा - यम द्वितीया

यम द्वितिया, कार्तिक द्वितीया अथवा भैया दूज पर श्री चित्रगुप्त जी की पढ़ी जाने वाली पौराणिक कथा, पूजन एवं विधि..एक बार युधिष्ठिरजी भीष्मजी से बोले..

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