Holi Specials
Holi Specials - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Om Jai Jagdish Hare Aarti - Ram Bhajan -

आशा दशमी पौराणिक व्रत कथा (Asha Dashami Pauranik Vrat Katha)


आशा दशमी पौराणिक व्रत कथा
Add To Favorites Change Font Size
आशा दशमी की पौराणिक व्रत कथा, जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी, इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में निषध देश में एक राजा राज्य करते थे, जिनका नाम नल था। उनके भाई पुष्कर ने युद्ध में जब उन्हें पराजित कर दिया, तब नल अपनी भार्या दमयंती के साथ राज्य से बाहर चले गए। वे प्रतिदिन एक वन से दूसरे वन में भ्रमण करते रहते थे तथा केवल जल ग्रहण करके अपना जीवन-निर्वाह करते थे और जनशून्य भयंकर वनों में घूमते रहते थे।
एक बार राजा ने वन में स्वर्ण-सी कांति वाले कुछ पक्षियों को देखा। उन्हें पकड़ने की इच्छा से राजा ने उनके ऊपर वस्त्र फैलाया, परंतु वे सभी वस्त्र को लेकर आकाश में उड़ गए। इससे राजा बड़े दु:खी हो गए। वे दमयंती को गहरी निद्रा में देखकर उसे उसी स्थिति में छोड़कर वहाँ से चले गए।

जब दमयंती निद्रा से जागी, तो उसने देखा कि राजा नल वहाँ नहीं हैं। राजा को वहाँ न पाकर वह उस घोर वन में हाहाकार करते हुए रोने लगी। महान दु:ख और शोक से संतप्त होकर वह नल के दर्शन की इच्छा से इधर-उधर भटकने लगी। इसी प्रकार कई दिन बीत गए और भटकते हुए वह चेदी देश में पहुँची। दमयंती वहाँ उन्मत्त-सी रहने लगी। वहाँ के छोटे-छोटे शिशु उसे इस अवस्था में देख कौतुकवश घेरे रहते थे।

एक बार कई लोगों में घिरी हुई दमयंती को चेदी देश की राजमाता ने देखा। उस समय दमयंती चन्द्रमा की रेखा के समान भूमि पर पड़ी हुई थी। उसका मुखमंडल प्रकाशित था। राजमाता ने उसे अपने भवन में बुलाया और पूछा: तुम कौन हो?

इस पर दमयंती ने लज्जित होते हुए कहा: मैं विवाहित स्त्री हूँ। मैं न किसी के चरण धोती हूँ और न किसी का उच्छिष्ट भोजन करती हूँ। यहाँ रहते हुए कोई मुझे प्राप्त करेगा तो वह आपके द्वारा दंडनीय होगा। देवी, इसी प्रतिज्ञा के साथ मैं यहाँ रह सकती हूँ ।

राजमाता ने कहा: ठीक है, ऐसा ही होगा।

तब दमयंती ने वहाँ रहना स्वीकार किया। इसी प्रकार कुछ समय व्यतीत हुआ। फिर एक ब्राह्मण दमयंती को उसके माता-पिता के घर ले आया किंतु माता-पिता तथा भाइयों का स्नेह पाने पर भी पति के बिना वह बहुत दुःखी रहती थी।

एक बार दमयंती ने एक श्रेष्ठ ब्राह्मण को बुलाकर उनसे पूछा: हे ब्राह्मण देवता ! आप कोई ऐसा दान एवं व्रत बताएं जिससे मेरे पति मुझे प्राप्त हो जाएं।

इस पर उस ब्राह्मण ने कहा: तुम मनोवांछित सिद्धि प्रदान करने वाले आशा दशमी व्रत को करो, तुम्हारे सारे दु:ख दूर होंगे तथा तुम्हें अपना खोया पति वापस मिल जाएगा।

तब दमयंती ने आशा दशमी व्रत का अनुष्ठान किया और इस व्रत के प्रभाव से दमयंती ने अपने पति को पुन: प्राप्त किया और हँसी-खुशी से अपना जीवन व्यतीत किया और मोक्ष धाम को प्राप्त हुई।
यह भी जानें

Katha Asha Dashami KathaPauranik Vrat KathaDashami KathaPauranik KathaAsha Dashami Vrat Katha

अगर आपको यह कथाएँ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

भक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस कथाएँ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

चैत्र संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

एक समय कैलाश में माता पार्वती तथा श्री गणेश जी महाराज विराजमान थे तब 12 माह की गणेश चतुर्थी का प्रसंग चल पड़ा। पार्वती जी ने पूछा कि हे पुत्र ! चैत्र कृष्ण चतुर्थी को गणेश की पूजा कैसे करनी चाहिए?

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा

भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्‌मणों...

मंगलवार व्रत कथा

सर्वसुख, राजसम्मान तथा पुत्र-प्राप्ति के लिए मंगलवार व्रत रखना शुभ माना जाता है। पढ़े हनुमान जी से जुड़ी मंगलवार व्रत कथा...

रोहिणी शकट भेदन, दशरथ रचित शनि स्तोत्र कथा

प्राचीन काल में दशरथ नामक प्रसिद्ध चक्रवती राजा हुए थे। राजा के कार्य से राज्य की प्रजा सुखी जीवन यापन कर रही थी...

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा

संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन

आमलकी एकादशी व्रत कथा

श्री भगवान बोले: हे राजन्, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम आमलकी एकादशी है। इस व्रत के करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं..

सोमवार व्रत कथा

किसी नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था। नगर के सभी लोग उस व्यापारी का सम्मान करते थे..

Hanuman Chalisa -
Ram Bhajan -
×
Bhakti Bharat APP