Shri Hanuman Bhajan

रङ्गपुर विहार (Rangapura Vihara)


रङ्गपुर विहार
Add To Favorites Change Font Size
पल्लवि:
रङ्गपुर विहार जय कोदण्ड रामावतार रघुवीर श्री
अनुपल्लवि:
अङ्गज जनक देव बृन्दावन सारङ्गेन्द्र वरद रमान्तरङ्ग

मध्यम कालम्
श्यामळाङ्ग विहङ्ग तुरङ्ग सदयापाङ्ग सत्सङ्ग

चरणम्:
पङ्कजाप्तकुल जलनिधि सोम वर पङ्कज मुख
पट्टाभिराम पदपङ्कज जितकाम रघुराम वामाङ्ग
गत सीतावरवेष शेषाङ्ग शयन भक्त सन्तोष एणाङ्क
रवि नयन मृदुतरभाष अकळङ्क दर्पण कपोल विशेष मुनि

मध्यम कालम्
सङ्कटहरण गोविन्द वेङ्कट रमण मुकुन्द
सङ्कर्षण मूल कन्द शन्कर गुरुगुहानन्द

संस्कृत का यह मंत्र भगवान श्री राम एवं भगवान श्री रंगनाथ की मिश्रित विशेषताओं का वर्णन प्रस्तुत करता है। इस मंत्र में भगवान श्री हरि के अवतार भगवान श्री राम का विशिष्ट उल्लेख है।
यह भी जानें

Mantra Shri Vishnu MantraNarayan MantraMangalam MantraShri Hari MantraShri Ram MantraRanga Swami MantraShri Shiv MantraShri Krishna MantraSouth Indian MantraSinger Aishwarya Srinivas Mantra

अन्य प्रसिद्ध रङ्गपुर विहार वीडियो

Padmashri Smt. Aruna Sairam

Sivasri Skandaprasad

Sooryagayathri

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र के 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 कोटि(प्रकार)देवताओं के द्योतक हैं।

माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं

माँ दुर्गा की पूजा समाप्ति पर करें ये स्तुति, तथा पूजा में हुई त्रुटि के अपराध से मुक्ति पाएँ। आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं..

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते, गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् नवरात्रि के दौरान माता रानी का सबसे ज्यादा सुना और पढ़ा जाने वाला संस्कृत श्लोक है

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥ नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

श्री रुद्राष्टकम्

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं...

श्री हनुमान स्तवन - श्रीहनुमन्नमस्कारः

प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ज्ञानघन ।.. गोष्पदी कृत वारीशं मशकी कृत राक्षसम् ।..

आदित्य-हृदय स्तोत्र

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् । रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् ॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् ।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
×
Bhakti Bharat APP